प्रयागराज। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्राइवेट स्कूलों से मासिक शुल्क की वसूली न करने के लिए सरकार को शासनादेश जारी करने की मांग संबंधी दाखिल जनहित याचिका खारिज कर दी है।
न्यायालय ने कहा कि याची द्वारा कहीं बातें सत्य नहीं हैं और याचिका में पर्याप्त तथ्य नहीं हैं। न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति एसडी सिंह की पीठ ने अशोक कुमार पांडेय की याचिका पर सुनवाई की।
याची का कहना था कि कोरोना संक्रमण के दौरान सभी स्कूल बंद चल रहे हैं। एक प्रकार से स्कूल छुट्टियां मना रहे हैं। इसलिए सरकार को शासनादेश जारी करने का आदेश दिया जाए कि प्रदेश के निजी स्कूल अभिभावकों से मासिक फीस जिसमें ट्यूशन फीस और अन्य सुविधाओं के शुल्क शामिल होते हैं, न वसूला जाए। इस दौरान की फीस माफ की जाए।
न्यायालय ने कहा याची द्वारा कही गई बातें सही नहीं हैं। लॉकडाउन और उसके बाद स्कूलों के बंद होने के बावजूद अधिकांश स्कूल ऑनलाइन क्लास चला रहे हैं। बच्चों को वीडियो और अन्य माध्यमों से पढ़ाया जा रहा है। होमवर्क भी दिया जा रहा है और होमवर्क चेक हो रहा है। इसलिए यह कहना सही नहीं है कि स्कूलों में छुट्टियां हैं। कोर्ट ने कहा कि याचिका में आदेश देने योग्य पर्याप्त तथ्य नहीं दिए गए हैं।