प्रयागराज। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आज गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर डाक्टर कफील खान पर लगी रासुका व इसे बढाने के आदेश को अवैध घोषित कर रद्द कर दिया तथा तत्काल रिहाई का भी निर्देश दिया।
अलीगढ़ में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर भड़काऊ भाषण देने के आरोप में रासुका के तहत गिरफ्तार किए गए गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज के प्रोफेसर डॉ. कफील खान को मंगलवार एक सितंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट बड़ी राहत दी। अदालत ने कहा कि रासुका के तहत गिरफ्तारी अवैध थी। इसलिए रासुका हटाया जा रहा है।
डा. कफील की मां ने बेटे की रिहाई के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी और रासुका आदेश को चुनौती दी थी। कहा गया था कि कफील खान को गलत फंसाया गया है। उसने ऐसा कोई काम नहीं किया जिससे उस पर रासुका लगाई जा सकें।
डॉ. खान की मां की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में आरोप लगाया गया था कि उनके बेटे को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया है लिहाजा तुरंत रिहा किया जाए। केस की सुनवाई कर रही इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ में मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह ने रासुका लगाने से सम्बंधित सभी कानूनी पहलुओं पर विचार कर डॉ. खान के खिलाफ रासुका के आरोपों को रद्द कर दिया।
कोर्ट ने सरकार की इस दलील को नहीं माना कि वह अभी भी जेल से अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के छात्रों को भडका रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि जेल में बंद होकर उसके पास ऐसा कुछ भी नहीं था जिसका प्रयोग कर वह जेल के अंदर से छात्रों को भडकाता। हाईकोर्ट ने सरकार की इस दलील को भी नहीं माना कि उसने देश विरोधी व भड़काऊ भाषण दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि रासुका लगाने से पूर्व उसे सीडी नहीं दी गई जिसे देख अथवा सुनकर वह इस सम्बन्ध में अपनी सफाई दे सके।
अलीगढ़ में भड़काऊ भाषण देने पर 13 फरवरी को उस पर रासुका लगा था। सीएए को लेकर भड़काऊ बयानबाजी करने के लिए जिलाधिकारी अलीगढ़ ने 13 फरवरी को कफील खान को रासुका में निरुद्ध करने का आदेश दिया था। यह अवधि दो बार बढ़ाई जा चुकी थी। याचिका में वैधता को चुनौती दी गई थी।
हालांकि कफील खान को गोरखपुर के गुलहरिया थाने में दर्ज एक मुकदमे में 29 जनवरी 2020 को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका था। जेल में रहते हुए रासुका तामील कराया गया है। याची ने डॉ. कफील खान की रासुका को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को मूल पत्रावली भेजते हुए इस मामले को तय करने का आदेश दिया था।