प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चचेरी बहन पर चाकू से कातिलाना हमला करने के आरोपी किशोर को जमानत देने से इंकार कर दिया है।
न्यायालय ने कहा कि आरोपी द्वारा किया गया अपराध काफी गंभीर है। किशोर न्याय अधिनियम के तहत जमानत देने से अपवाद स्वरूप इंकार भी किया जा सकता है। न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने गाजियाबाद के किशोर की आपराधिक पुनरीक्षण अर्जी खारिज करते हुए यह आदेश दिया।
न्यायालय ने कहा कि जिस प्रकार से अपराध को अंजाम दिया गया उससे समाज में भय का माहौल पैदा हो गया है। इससे यह संदेश भी जाता है कि सगे रिश्तेदारों से भी व्यक्ति सुरक्षित नहीं है। न्यायालय ने मुकदमे का विचारण तीन माह में पूरा करने का आदेश दिया है।
याची के अधिवक्ता का कहना था कि याची बाल अपचारी है, जिसकी उप्र 15 साल से कुछ कम है। उसका कोई आपराधिक इतिहास भी नहीं है। जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 12(1) के तहत किशोर को जमानत देने से अपवाद स्वरूप ही इंकार किया जा सकता है।
अदालत ने कहा कि इसमें संदेह नहीं है कि किशोर को सामान्यतः जमानत दी जानी चाहिए मगर कानून ने इसमें तीन अपवाद भी रखे हैं। जिसके तहत जमानत देने से इंकार किया जा सकता है।
घटना की परिस्थितियां बताती हैं कि आरोपी अपने चाचा के घर में रात एक बजे घुसा और सो रही चचेरी बहन पर चाकू से ताबड़तोड़ वार किए। उसके गले और पेट पर चाकू मारे जिससे जाहिर है कि उसका इरादा जान से मार देने का था। उसने चाकू से नौ गंभीर वार किए हैं। इससे यह संदेश जाता है कि परिवार सदस्यों से भी कोई सुरक्षित नहीं है। न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी।