अहमदाबाद। चुनावी गहमागहमी के बीच कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव तथा बिहार के सह प्रभारी और गुजरात के राधनपुर से पार्टी विधायक अल्पेश ठाकोर ने आज पार्टी से त्यागपत्र दे दिया लेकिन कहा कि वह विधायक पर पर बने रहेंगे और अपने समुदाय के लोगों की सेवा करते रहेंगे।
इस्तीफे के बाद यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए ठाकोर ने जो 2017 में विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी से जुड़े थे, ने कहा कि वह केवल गुजरात की बनासकांठा लोकसभा सीट और ऊंझा विधानसभा उपचुनाव के लिए ही प्रचार करेंगे जहां से उनके संगठन ठाकोर सेना के प्रत्याशी मैदान में हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के अंदर बहुत गुटबाजी है। पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी भी उनकी समस्या का समाधान नहीं कर सके।
ठाकोर राज्य में उनकी जाति के संगठन ठाकोर सेना के भी प्रमुख रहे हैं। समझा जाता है कि वह पाटन लोकसभा सीट से टिकट चाहते थे पर पार्टी ने वहां से जगदीश ठाकोर को टिकट दे दिया। इससे वह खासे नाराज थे। कांग्रेस ने कई अन्य विधायकों को गुजरात में अलग अलग सीटों से टिकट दिए हैं।
ठाकोर के पार्टी छोड़ने की अटकले पिछले काफी समय से चल ही थी और कुछ ही दिनों पहले उन्होंने स्वयं इसका खुलासा किया था कि वह भाजपा में जाने वाले थे पर उन्होंने अपना आंदोलन जारी रखने के लिए ऐसा नहीं किया। आज ही उनके संगठन ठाकोर सेना की कोर कमेटी की बैठक में कांग्रेस से समर्थन वापस लेने की बात कही गई थी।
इसी समुदाय के दो और कांग्रेसी विधायकों और उनके करीबी धवल झाला और भरतजी ठाकोर भी समझा जाता है कि जल्द ही ऐसा कोई कदम उठा सकते हैं। ठाकोर ने दावा किया कि ये दोनो विधायक भी कांग्रेस छोड़ कर विधायक बने रहेंगे।
ठाकोर ने गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अमित चावडा को भेजे अपने त्यागपत्र में लिखा है कि वह अपने समाज और गरीबों के उत्थान के लिए राजनीति में जुड़े थे। कांग्रेस की ओर से उनके संगठन की अवहेलना से उनके समुदाय में खासी नाराजगी है। वह कांग्रेस से इसके खराब समय में जुड़े थे।
अब उनकी ठाकोर सेना का आदेश है कि वह पार्टी के सभी पदों से त्यागपत्र दें। दु.ख और विश्वासघात के एहसास के साथ वह पार्टी से त्यागपत्र दे रहे हैं। उन्होंने अपने इस्तीफे के अंत में लिखा है कि कांग्रेस में किसी एक चीज की कमी रहीं तो वह थी सम्मान की और जो एक चीज मिली वह थी विश्वासघात की।
ज्ञातव्य है कि कांग्रेस ने पूर्व में राजस्थान में लोकसभा चुनाव के लिए स्टार प्रचारकों की सूची में ठाकोर का नाम रखा था पर उसे बाद में वापस ले लिया गया था।