सबगुरु न्यूज। सामाजिक विषमता के उस काले इतिहास ने मानव और मानव के बीच गहरी खाई खोद दी। मानव के धर्म, कर्म, नियम और संस्कृति को अपनी ही दमनकारी नीतियों से बनाकर उसे बडी बेरहमी से लागू कर दिया तथा इस सोच ने सामाजिक संरचना का ढांचा जर्जरित कर दिया और समाज के कमजोर वर्ग को गुलाम बना दिया।
ईश्वर और परमात्मा की जहां परिभाषाएं बदल दी। कमजोर समाज को भगवान से श्रापित बता उसे नारकीय जीवन जीने को मजबूर कर दिया। विरोध करने वालों को तथा ज्ञान की भाषा बोलने वाले व्यक्तियों को बेरहमी से कुचल डाला। इस कारण समाज को कई टुकड़ों में बांट कर इन शक्ति शाली मानवों ने जाती वर्ग बनाकर ऊंचे नीचे की परिभाषा जन्म से निर्धारित कर दी।
मानव को मानव का गुलाम बनाने के लिए जब शक्तिशाली मानव अति दीन हीन, मलिन, निर्धन, बेसहारा पर जुल्म और अत्याचार के भारी बम डाल देते थे तथा हर तरह से उसे बर्बाद कर अपना गुलाम बना जीवन की हर आवश्यकता के लिए भी मोहताज कर देते थे।
ऐसे समय कुदरत ने एक मानव रूपी चमकता हुआ तारा इस भूमि पर पैदा किया। उस महा मानव ने साहस पराक्रम और ज्ञान के बल पर एक लम्बी लडाई लडी, इन शक्तिशाली मानवों को हर क्षेत्र में धराशायी कर अपना वर्चस्व स्थापित किया और समाज के कमजोर वर्ग को संरक्षण प्रदान कर इस इस समय समाज मे फ़ैली भारी कुरीतियों का विरोध कर समाज सुधारक बने।
विश्व स्तर पर अपने ज्ञान की पताका फहरा कर वे समाज के मसीहा बने पर शक्तिशाली वर्ग ने उन्हें केवल दलितों का मसीहा ही घोषित किया। ईश्वर नाम के फैले तरह के तरह के दुष्प्रचार का खंडन किया और मानव को मानव के धर्म की व्याख्या कर अंधविश्वास से दूर किया। धर्म के नाम से होने वाले अपराधों को बडे ही साहसिक कदम उठाए।
उनके लाखों समर्थक उनके साथ हो गए। शक्तिशाली फिर भी उनका विरोध करते रहे और उस महान मसीहा ने अपने दस लाख समर्थकों के साथ बौध धर्म ग्रहण कर विश्व स्तर पर पहला सबसे बडा धर्म परिवर्तन किया और सभी को ऊंच नीच के विचारों ओर धार्मिक अंधविश्वासों को दूर किया।
उस महान मसीहा को इस जगत में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के नाम से जाना गया। वो भारत रत्न ही नहीं इस जगत के महान रत्न थे। बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को सदा ही शत शत नमन!
सौजन्य : भंवरलाल