मनोज वर्मा
अजमेर। अंबेडकर जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अजयमेरु की ओर से मंगलवार को सामाजिक समरसता और डॉ अंबेडकर विषयक संगोष्ठी जवाहर रंगमंच पर आयोजित हुई। खचाखच भरे सभागार में वक्ताओं में करीब दो घंटे तक बाबा साहेब अंबेडकर के विचारों से श्रोताओं को लाभांवित किया।
मुख्य वक्ता नारायण लाल गुप्ता ने कहा अंबेडकर की सोच किसी व्यक्ति या समाज तक सीमित नहीं थी। वे कहते थे कि राष्ट्र व्यक्ति से महान है, मैं राष्ट्र के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने को तैयार हूं। लेकिन आज अंबेडकर के जीवन का गलत तरीके से भाष्य किया जा रहा है।
समता, स्वतंत्रता और बंधुता का सपना संजोने वाले अंबेडकर के कहा था कि स्वतंत्रता की सार्थकता तभी है जब उसमें समता के साथ बंधुता भी हो। वे अस्पृश्यता के घोर विरोधी रहे, लेकिन हम सब एक हैं ये संदेश देने वाले भी अंबेडकर ही थे। उनका किसी जाति वर्ग विशेष से दुराव रहा और न ही विरोध।
बाबा साहब कहते थे कि हिन्दू धर्म खराब नहीं है। बाबा साहब अंबेडकर ने न तो मुस्लिम धर्म स्वीकार किया ना इस्लाम, उन्होंने भारतीय संस्कृति में फले फूले बौद्ध धर्म को अंगीकार किया। वे भारतीय संस्कृति से अलग किसा अन्य विदेशी धर्म से नहीं जुडे।
सभी वक्ताओं ने भारत को तोडने वाली शक्तियां और अंबेडकर की विचारधारा से विपरीत जाने वाली तकतों से सावधान रहते हुए समरस समाज बनाने का आवहान किया गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सामाजिक समरसता के लिए लगातार काम कर रहा है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पुष्कर के संत पाठकजी महाराज थे तथा अध्यक्षता चेतन प्रकाश ने की। संघ के महानगर संघ चालक सुनील दत्त जैन ने आभार ज्ञापित किया।