जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नागरिकता कानून को अव्यवहारिक बताते हुए इसे राज्य में लागू नहीं करने के संकेत दिए हैं।
गहलोत अपनी सरकार की पहली वर्ष गांठ पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में इस बारे में पूछे गए सवाल पर कहा कि यह अव्यवाहरिक है। उन्होंने कहा कि छह सात राज्य पहले ही इसे लागू करने से मना कर चुके हैं।
उन्होंने कहा केंद्र सरकार नागरिक रजिस्टर मामले में असम में मात खा चुकी है और देश को भ्रमित करने के लिए नागरिकता कानून में संशोधन किया गया है। गहलोत ने कहा कि असम और त्रिपुरा हिंसा में झुलस रहे हैं।
उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह पर आरोप लगाया कि पाकिस्तानी शरणार्थियों के बारे में केंद्र को लिखे उनके पत्र पर गलतबयानी की है। गहलोत न कहा कि राजस्थान में हिंदू एवं सिख ही पाकिस्तान से आए थे, यदि दूसरे धर्म के लोग भी आते तो उनके बारे में भी वह केंद्र को लिखते।
गहलोत ने भाजपा पर मुद्दों पर आधारित राजनीति नहीं करने का आरोप लगाते हुए कहा कि देश को धर्म के आधार पर बांटने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद नागरिकता कानून में संशोधन से देश को बांटा जा रहा है। गहलोत ने कहा कि केंद्र सरकार की विभाजनकारी नीतियों को हरियाणा एवं महाराष्ट्र के चुनाव में जनता ने नकार दिया है।
गहलोत ने कहा कि केंद्र सरकार ने हाल ही में दो राज्यों में चुनाव से पहले सर्जिकल स्ट्राइक करके भी देख लिया। इससे चुनाव में भाजपा को कोई फायदा नहीं मिला। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार सेना के कामों का भी राजनीतिक फायदा उठाना चाहती है, जबकि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासन में 90 हजार पाक सैनिकों का आत्मसमर्पण कराया गया। अमरीका को भी अपना सातवां बेड़ा लौटाना पड़ा।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर चुनावी वादों को भुलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि काला धन खत्म करने, विदेशी धन वापस लाने, दो करोड़ लोगों को नौकरी देने सहत 14 वादों को भुलाया जा चुका है।