नई दिल्ली। सेना के शीर्ष कमांडरों ने पिछले कुछ दिनों से चीन सीमा पर चले आ रहे गतिरोध के बारे में तीन दिन तक गहन विचार विमर्श किया और स्थिति से निपटने के बारे में रणनीति बनाई।
सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे की अध्यक्षता में यहां बुधवार को शुरू हुए सैन्य कमांडर सम्मेलन के पहले चरण में नई सुरक्षा चुनौतियों के साथ साथ सैन्य तैयारियों और आधुनिकीकरण पर भी चर्चा की गई।
वर्ष में दो बार होने वाले इस सम्मेलन में गहन विचार विमर्श के बाद महत्वपूर्ण नीतिगत फैसले लिए जाते हैं। सम्मेलन निर्धारित समय के अनुसार गत अप्रैल में होना था लेकिन कोरोना महामारी के कारण उस समय इसे टालना पड़ा और अब इसे दो चरणों में आयोजित किया जा रहा है। पहला चरण बुधवार को शुरू हुआ और आज संपन्न हो गया जबकि दूसरा चरण 24 से 27 जून तक होगा।
सम्मेलन के दौरान शीर्ष नेतृत्व ने मौजूदा और भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया। इसके अलावा, मानव संसाधन प्रबंधन, गोला-बारूद प्रबंधन से संबंधित अध्ययन, एक जगह पर स्थित प्रशिक्षण प्रतिष्ठानों के विलय और मुख्यालय सेना प्रशिक्षण कमान के साथ सैन्य प्रशिक्षण निदेशालय के विलय पर भी चर्चा की गई। इस दौरान आर्मी वेलफेयर हाउसिंग ओरिजिनेशन (एडब्ल्यूएचओ) और आर्मी वेलफेयर एजुकेशन सोसाइटी (एडब्ल्यूईएस) के संचालन मंडलों की बैठकें भी आयोजित की गयी।
शीर्ष नेतृत्व ने विशेष रूप से लद्दाख सीमा के निकट उत्पन्न गतिरोध के बारे में विस्तार से जानकारी ली और इस बारे में आगे की रणनीति पर तमाम पहलुओं से विचार विमर्श किया।
दूसरे चरण में मुख्य रूप से कमान मुख्यालयों के एजेन्डों, सैन्य साजाे सामान और प्रशासनिक मुद्दों को लेकर चल रहे विभिन्न अध्ययनों पर विचार विमर्श किया जायेगा। इस सत्र को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत द्वारा भी संबोधित किए जाने की संभावना है।