चंडीगढ़। पंजाब विधानसभा सत्र के पहले दिन मंगलवार को विपक्ष के हंगामे के बीच मुख्यमंत्री भगवंत मान ने विश्वास प्रस्ताव पेश किया।
विश्वास मत पेश करने से भड़के कांग्रेसियों ने सदन में जमकर नारेबाजी और हंगामा किया तथा कांग्रेस नेता सदन के बीचोंबीच पहुंचकर नारेबाजी करते रहे, जिससे सदन की कार्यवाही में व्यवधान पड़ा और कुछ भी स्पष्ट सुनाईयी नहीं दे रहा था। इसके बाद कांग्रेस ने सदन से बहिर्गमन किया।
हंगामे के दौरान विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवां ने विपक्ष के सदस्यों को अपनी सीटों पर जाने को कहा और सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चलने देने का कई बार आग्रह किया, लेकिन कांग्रेस सदस्य आसन के समीप जाकर नारेबाजी करते रहे।
सदन में भारी हंगामा तथा नारेबाजी को देख संधवां ने मार्शल को आदेश दिया कि कांग्रेस के सभी सदस्यों को सदन से बाहर निकाला जाए। कांग्रेस के सदस्याें को सदन की शेष कार्यवाही से निलंबित कर दिया और इस बीच सदन की कार्यवाही दस मिनट के लिए स्थगित रही।
कांग्रेस के सदस्यों ने सदन से बाहर आकर सरकार की कारगुजारी पर जमकर भड़ास निकाली। विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने तो राज्यपाल से मान सरकार को भंग करने तथा 420 का मामला दर्ज करने की मांग की। अमरिंदर राजा वडिंग ने कहा कि आप सरकार काे सत्ता का अहंकार आ गया है।
बाजवा ने कहा कि पंजाब में सरकारी नौकरियों मेें भर्ती हो नहीं रही, लेकिन गैंगस्टरों की ऑनलाइन भर्ती जरूर हो रही हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मान पर मामला दर्ज होना चाहिए क्योंकि राज्यपाल को जो सदन में होने वाली कार्यवाही का ब्यौरा दिया गया था उस पर बहस कराने के बजाय विश्वास मत पेश किया गया, जिसको लेकर राज्यपाल इससे पहले बुलाए गए सत्र का नामंजूर कर चुके थे।
उधर, भाजपा ने भी विश्वास मत के विरोध में सदन से बहिर्गमन किया तथा विधानसभा के समानांतर जनता की विधानसभा लगाई जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, सुनील जाखड़, राजकुमार वेरका सहित कई नेताओं ने भाग लिया।
शिरोमणि अकाली दल ने भी विश्वास मत के विरोध में मार्च निकाला तथा कहा कि जनता के पैसे को बर्बाद किया जा रहा है तथा सदन में असल मुद्दों पर चर्चा हो। विधानसभा सत्र की अवधि तीन अक्टूबर तक बढ़ा दी गई। विपक्ष की गैर मौजूदगी में विश्वास मत पर चर्चा जारी रही। समय सीमा को देखते हुए सदन की कार्यवाही 29 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी गई।