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इस बार चूक गए अमित शाह, भाजपा के हाथ से मणिपुर की फिसलती सत्ता - Sabguru News
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इस बार चूक गए अमित शाह, भाजपा के हाथ से मणिपुर की फिसलती सत्ता

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इस बार चूक गए अमित शाह, भाजपा के हाथ से मणिपुर की फिसलती सत्ता
Amit Shah missed this time slipping power of Manipur from BJP hand
Amit Shah missed this time slipping power of Manipur from BJP hand
Amit Shah missed this time slipping power of Manipur from BJP hand

सबगुरु न्यूज। सियासी और सत्ता के सभी दांवपेच में माहिर हो चुकी भाजपा इस बार नॉर्थईस्ट के सबसे आखिरी राज्य मणिपुर को लेकर चूक गई। पिछले दो दिनों से देश की राजनीति में मणिपुर की सत्ता को लेकर उथल-पुथल मची हुई है। भाजपा शासित राज्य में मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह के चार मंत्रियों और तीन भाजपा विधायकों के इस्तीफा देने के बाद सरकार अल्पमत में आ गई है। दूसरी ओर कांग्रेस सरकार ने राज्य में भाजपा की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए पहल शुरू कर दी है। यही नहीं कांग्रेस राज्य में सरकार बनाने का दावा भी पेश कर रही है।‌ कांग्रेस ने राज्यपाल को फ्लोर टेस्ट कराने और बहुमत साबित करने का मौका देने के लिए लिखा है।

अभी हाल ही में कांग्रेस से मध्य प्रदेश की सत्ता छीनने वाली भाजपा को मणिपुर से जाती हुई अपनी सत्ता अखर रही होगी। भाजपा के चाणक्य समझे जाने वाले अमित शाह मणिपुर में अपनी सत्ता बचाने को लेकर इस बार दांव नहीं चल सके। गोवा, कर्नाटक, त्रिपुरा अमित शाह ने सभी दांवपेच चलते हुए यह साबित कर दिया था कि हम आज के सियासत के सबसे बड़े खिलाड़ी हैं।‌ लेकिन इस बार भाजपा के चाणक्य ने मणिपुर की राजनीति का समझने में देर कर दी। हालांकि अभी तक मणिपुर में सियासी घटनाक्रम को लेकर भाजपा के किसी बड़े नेता का बयान नहीं आया है।‌

राज्य में भाजपा सरकार अल्पमत में, कांग्रेस ने तेज की सरकार बनाने की तैयारियां

नए राजनीतिक घटनाक्रम के बाद मुख्यमंत्री के खिलाफ विधायकों की संख्या अब 29 हो गयी है। सीएम बिरेन सिंह के समर्थन में 23 विधायक हैं जिनमें बीजेपी के 18, नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के चार और एलजेपी के एक विधायक हैं। मणिपुर में अगर फ्लोर टेस्ट होता है तो 11 विधायक (हाई कोर्ट से रोके गए 7 विधायक, इस्तीफा दे चुके 3 विधायक और अयोग्य विधायक श्यामकुमार) वोटिंग प्रक्रिया में हिस्सा नहीं ले सकेंगे। इस स्थिति में 49 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी के नेतृत्व वाला गठबंधन सिर्फ 22 वोट ही हासिल कर सकेगा। चूंकि आम तौर पर स्पीकर वोट नहीं देते हैं, ऐसे में कांग्रेस गठबंधन के खाते में 26 वोट आ सकते हैं और मणिपुर में बीजेपी के हाथ से सत्ता फिसलती दिखाई दे रही है।

सेक्युलर प्रोग्रेसिव फ्रंट के नए गठबंधन को तृणमूल कांग्रेस का एक और एक निर्दलीय विधायक का समर्थन भी प्राप्त है। पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह के नेतृत्व वाली एसपीएफ ने राज्यपाल से फ्लोर टेस्ट के लिए विशेष विधानसभा सत्र बुलाने का आग्रह किया है। अगर राज्य में भाजपा सरकार सरकार विश्वास मत हासिल करने में असफल रहती है तो भाजपा पूर्वोत्तर के इस राज्य को खो देगी जहां चुनाव के बाद कांग्रेस के सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी ने सरकार बनाने में सफलता पाई थी।

कांग्रेस ज्यादा सीटें जीतने के बाद भी वर्ष 2017 में मणिपुर में सरकार नहीं बना सकी थी

साल 2017 में 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 28 सीटें जीतने के बाद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, जबकि भारतीय जनता पार्टी के खाते में 21 सीटें आई थी। एनपीपी और नगा पीपल्स फ्रंट के 4 विधायक भी चुनाव में जीते थे। वहीं दूसरी ओर एलजेपी, टीएमसी और एक निर्दलीय उम्मीदवार ने एक-एक सीट जीती थी। सभी गैर कांग्रेसी और एक कांग्रेस विधायक टी श्यामकुमार के बीजेपी को समर्थन देने के साथ ही गवर्नर नजमा हेमतुल्ला ने भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था। इस प्रकार मणिपुर में भाजपा की पहली बार सरकार बनी थी। बिरेन सिंह को मुख्यमंत्री बनाया गया था। यही नहीं बाद में सात और कांग्रेस विधायकों ने बीजेपी ज्वाइन कर ली थी, जिससे एनडीए को 40 विधायकों का समर्थन हासिल हो गया था, वहीं अब नौ विधायकों ने समर्थन वापस ले लिया है।

लगभग 3 साल बाद मार्च 2020 में राज्य में भाजपा शासन की जड़े कमजोर होना शुरू हो गई थी। टी श्यामकुमार के केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद स्थिति बदल गई। 28 मार्च 2020 को विधानसभा स्पीकर ने उन्हें विधायक के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया। वहीं 8 जून को मणिपुर हाई कोर्ट ने 7 कांग्रेस विधायकों की राज्य विधानसभा में एंट्री तब तक के लिए बैन कर दी जब तक स्पीकर उनके खिलाफ याचिका पर फैसला न दे दें। बहरहाल राज्य से भाजपा सरकार का जाना तय माना जा रहा है दूसरी ओर कांग्रेस ने राज्य में अपनी सरकार के गठन के लिए तैयारियां तेज कर दी है।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार