लखनऊ । संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की पूर्ववर्ती सरकार पर सहकारी समितियों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुये भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष अमित शाह ने शनिवार को कहा कि किसानो की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिये जरूरी इस क्षेत्र की मजबूती के लिये नरेन्द्र मोदी सरकार पारदर्शिता के साथ काम कर रही हैं।
डॉ. राममनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय के आम्बेडकर सभागार में सहकारिता बंधु सम्मेलन को संबोधित करते हुये श्री शाह ने कहा कि कांग्रेस नीति संप्रग सरकार के उदासीन रवैये के चलते सहकारी संस्थायें बदहाली की कगार पर थी। इन संस्थाओं में भ्रष्टाचार का बोलबाला था। संप्रग सरकार अपने पांच साल के कार्यकाल में सहकारी संस्थाओं को 23 हजार 635 करोड़ रुपये आंवटित किये थे जबकि मौजूदा केन्द्र सरकार अब तक 73 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा धनराशि सहकारी संस्थाओं को दे चुकी है।
उन्होने कहा कि 2022 तक किसानाे की आय दोगुनी करने के मोदी के संकल्प का कांग्रेस अध्यक्ष मखौल उडाते है जबकि सच्चाई यह है कि आजादी के बाद देश को ऐसा पहला प्रधानमंत्री मिला जो किसानो की अाय दोगुनी करने की सोच रखता है। मोदी सरकार सहकारिता समितियों के माध्यम से किसानों को ज्यादा दाम दिलाने का काम कर रही है। अब हर किसान के घर में गाय और भैंस देनी है। उनके दूध से किसान की जीविका और उसके बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का प्रबंध करना है।
उत्तर प्रदेश को गुजरात और महाराष्ट्र का सहकारी माडल अपनाने की सलाह देते हुये उन्होने कहा कि गरीबों और किसानों को मजबूत करने के लिए सहाकारिता आंदोलन की प्रमुख भूमिका रही है। सहकारिता का मुख्य उद्देश्य व्यापारियों के शोषण से किसानों को बचाना है। इस सहकारिता आंदोलन को सरदार पटेल ने आगे बढ़ाने का काम किया था। गुजरात की उन्नति दुनिया देख रही है मगर सच्चाई है कि उसकी नींव सहकारिता आंदोलन से ही पड़ी थी।