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Amway India launches the ‘Power of 5’ campaign to address childhood malnutrition in India - एम्वे इंडिया ने भारत में बाल कुपोषण से निपटने के लिए शुरू किया ‘पावर ऑफ 5‘ अभियान - Sabguru News
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एम्वे इंडिया ने भारत में बाल कुपोषण से निपटने के लिए शुरू किया ‘पावर ऑफ 5‘ अभियान

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एम्वे इंडिया ने भारत में बाल कुपोषण से निपटने के लिए शुरू किया ‘पावर ऑफ 5‘ अभियान
Amway India launches the ‘Power of 5’ campaign to address childhood malnutrition in India
Amway India launches the ‘Power of 5’ campaign to address childhood malnutrition in India
Amway India launches the ‘Power of 5’ campaign to address childhood malnutrition in India

गुरुग्राम । देश की सबसे बड़ी एफएमसीजी डायरेक्ट सेलिंग कंपनी एम्वे इंडिया ने आज भारत में बच्चों के बीच कुपोषण की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए ‘पावर ऑफ 5‘ अभियान शुरू किया।

लोगों को बेहतर जीवन जीने में मदद करने के एम्वे के विजन के अनुरूप, पावर ऑफ 5 एक समुदाय-आधारित अभियान है, जो 5 साल से कम उम्र के बच्चों की माताओं और देखभाल करने वालों को केंद्र में रखता है। इस अभियान का उद्देश्य पूरक आहार, स्वच्छता प्रथाओं, बच्चे के विकास पर निगरानी और विविधतापूर्ण आहार सहित पोषण संबंधी ज्ञान और प्रणालियों को बेहतर बनाना है।

यह अभियान संबंधित विभागों (एकीकृत बाल विकास योजना, स्वास्थ्य और स्वच्छता) के सेवा प्रदाताओं के बीच तालमेल विकसित करना चाहता है, ताकि कुपोषित और संक्रमण से पीड़ित बच्चों की पहचान की जा सके और आवश्यक कदम उठाए जा सकें।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, दुनियाभर में हर साल 5 वर्ष से कम उम्र के लगभग 70 लाख बच्चों की मौत ऐसे कारणों से हो जाती है, जिनकी रोकथाम संभव है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक इन मौतों में से 45 प्रतिशत के पीछे असल कारण कुपोषण है। भारत में भी, बाल कुपोषण चिंता का बड़ा विषय है, जो देश की बढ़ती आर्थिक उपलब्धियों पर सवालिया निशान लगा रहा है।

विश्व बैंक की एक हालिया रिपोर्ट कहती है कि लगभग 80 लाख भारतीय बच्चे गंभीर तीव्र कुपोषण (लंबाई के अनुपात में बहुत कम वजन) से पीड़ित हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य परिवार सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में 5 साल से कम उम्र के 36 प्रतिशत बच्चे सामान्य से कम वजन वाले (अंडरवेट) हैं। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 38 प्रतिशत कम कद वाले (स्टंटेड) हैं, 21 प्रतिशत कमजोर (वास्टेड) हैं, 7.5 प्रतिशत गंभीर रूप से कमजोर (सीवरली वास्टेड) हैं, और 58 प्रतिशत खून की कमी से पीड़ित (एनिमिक) हैं।’’

इस कार्यक्रम की शुरुआत के बारे में एम्वे इंडिया के सीईओ श्री अंशु बुधराजा ने कहा, ‘‘भारत में पोषण स्तर को बेहतर बनाने के लिए भारत सरकार के राष्ट्रीय पोषण मिशन में योगदान देने हेतु एम्वेे इंडिया पोषण और कल्याण के क्षेत्र में अपने व्यापक वैश्विक अनुभव का उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। अपने अनुभव से हम अच्छी तरह समझते हैं कि सेहतमंद विकास और समग्र कल्याण की नींव जीवन के आरंभिक 5 वर्षों में सर्वोत्तम पोषण से ही डलती है।

पावर ऑफ 5 के लॉन्च के जरिए हमारा लक्ष्य बाल्यावस्था के कुपोषण के मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाना और व्यापक स्तर पर माताओं और समुदायों में बेहद जरूरी व्यवहारगत बदलाव लाना है। यह कार्यक्रम वैश्विक स्तर पर बहुत सफल रहा है और 23 से अधिक देशों में हर साल एक लाख से ज्यादा बच्चों को लाभान्वित कर रहा है। भारत में इस पहल को लॉन्च करते हुए हमें बेहद खुशी हो रही है। हम अधिक से अधिक बच्चों और परिवारों के जीवन में सकारात्मक प्रभाव डालने की उम्मीद करते हैं।‘‘

संदीप शाह, चीफ मार्केटिंग ऑफिसर, एम्वे इंडिया ने कहा, ‘‘बच्चें के जीवन के शुरूआती 5 वर्ष खासतौर से उसके समग्र विकास के लिये बेहद महत्व पूर्ण होते हैं और इसलिये उन्हें स्वस्था एवं पोषण से भरपूर आहार देना जरूरी होता है। भारत में 5 वर्ष तक की आयु के बच्चों में पोषण का मौजूदा निम्न स्तर चिंता का विषय है।

वर्ल्ड बैंक रिपोर्ट ‘इंडियाज मैलनॉरिश्ड चिल्ड्रेन प्रतिशत कॉल फॉर रिफॉर्म एंड ऐक्शकन‘ द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 80 लाख बच्चे गंभीर रूप से कुपोषण से ग्रस्त हैं। 5 वर्ष तक की आयु के बच्चों में कुपोषण के कारण मृत्यु दर 20 प्रतिशत से अधिक है। बच्चों में कुपोषण के प्रमुख कारणों में, सही तरीके से मां का दूध नहीं पिलाना, अपर्याप्त आहार देना, बार-बार होने वाले संक्रमण’’ इत्यादि शामिल हैं। इस तरह के मुद्दों को उपयुक्त शिक्षा और मार्गदर्शन से ही सुलझाया जा सकता है।

भारत में पावर ऑफ 5 कैम्पेन के लॉन्च के जरिये, हमारा उद्देश्य 5 साल से कम उम्र के बच्चों उनकी माताओं और समुदाय तक पहुंच स्थापित करना तथा उन्हें यह बताना है कि वे अपने पास मौजूद संसाधनों का किस तरह से सर्वश्रेष्ठ रूप से इस्तेामाल कर बच्चों का पोषणयुक्त विकास सुनिश्चित कर सकते हैं। बच्चों को पर्याप्त् पोषण देने के लिये मां के लिये यह समझना जरूरी है कि एक अच्छे आहार में क्या शामिल होना चाहिये। साथ ही उन्हें बच्चों के लिये अच्छी भोजन पकाने का कौशल भी होना चाहिये। पावर ऑफ 5 पहल का लक्ष्य माताओं एवं समुदाय को यहे बेहद आवश्यकक जानकारी उपलब्ध कराना है, ताकि बच्चेच स्वस्थय तरीके से विकास कर सकें।‘‘

इस अभियान का लक्ष्य समुदायों को एकजुट करके भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करना और लाभार्थियों के बीच सेवाओं और अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाकर लोगों को सशक्त बनाना है। इसके अलावा, आशा कार्यकर्ता, एएनएम और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व्यवहारगत परिवर्तन के लिए माता-पिता और समुदायों को संवेदनशील बनाएंगे, ताकि निर्धारित लक्षित लाभार्थियों को समय पर समावेशी सेवा देने के लिए तालमेल स्थापित किया जा सके।

इसे अमलीजामा पहनाने वाले साथी के रूप में ममता हेल्थ इंस्टीट्यूट फॉर मदर एंड चाइल्ड के साथ एम्वेे पहले पायलट वर्ष में पश्चिम दिल्ली के किराड़ी क्षेत्र में लगभग 10,000 बच्चों तक उनकी माताओं के माध्यम से सीधे पहुंचेगा और उन्हें लाभ पहुंचाएगा। इसके साथ ही 30,000 लोग (अभिभावक, देखभाल करने वाले और सामुदायिक सदस्य) अप्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित होंगे।

एम्वेल के साथ साझेदारी पर बोलते हुए ममता हेल्थ इंस्टीट्यूट फॉर मदर एंड चाइल्ड के एक्जीवक्यूडटिव डायरेक्टंर श्री सुनील मेहरा ने कहा, ‘‘इस इलाके में बहुत से वंचित बच्चे ऐसी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं, जिन्हें उनके पोषण में मामूली बदलाव करके ही दूर किया जा सकता है। पावर ऑफ 5 अभियान इन बच्चों के जीवन पर एक चिरस्थायी प्रभाव डालेगा, क्योंकि यह उनके दैनिक आहार में बुनियादी बदलाव लाने की ख्वाहिश रखता है। हमें इस पहल के अंतिम परिणाम को लेकर वाकई में काफी उम्मीद है।‘‘