सबगुरु न्यूज-सिरोही। जिला चिकित्सालय में वो काम हुआ जिसे जानकर आप हैरत और आश्चर्य से आंखों की कटोरियां बाहर निकाल लेंगे। यहां दुर्घटना में चोटिल व्यक्ति का दाहिना पांव टूटा, लेकिन एफआईआर दर्ज करवाने के लिए इंजरी रिपोर्ट बाएं पांव की बना कर थमा दी।
इतना ही नहीं बाद में जब पीडित पुलिस के साथ एवीडेंस के लिए जिला चिकित्सालय पहुंचा तो आईआर रिपोर्ट में सुधार करने की बजाय उसके टूटे हुए दाहिने पांव की जगह बाएं पांव का ही एक्स-रे करके पुलिस को थमा दिया गया।
यह था मामला
मीणावास निवासी रमेश माली का आठ फरवरी को नीलवणी चौक में एक्सीडेंट हो गया। उसे उपचार के लिए जिला चिकित्सालय ले जाया गया। इधर, उसके भाई ने इस मामले की रिपोर्ट सिरोही कोतवाली में दर्ज करवा दी थी।
रमेश के चिकित्सालय पहुंचते ही वहां मौजूद चिकित्सक ने उसका परिक्षण किया। उसे एक्स-रे के लिए लिखा। एक्स-रे में उसे दाहिने पांव की एडी में फ्रेक्चर आने पर उसे रेफर कर दिया गया।
रमेश ने सिरोही के ही निजी चिकित्सालय में अपना ऑपरेशन करवा दिया। फिर चार मार्च को एकाएक रमेश के पास सिरोही कोतवाली से फोन आने लगे। रमेश ने बताया कि फोन पर जांच अधिकारी ने कहा कि जिला चिकित्सालय आकर जांच के आगे बढ़वाने के लिए एक्सरे करवाना होगा।
इस पर रमेश अपने भाई के साथ जिला चिकित्सालय पहुंचा। उसके दाहिने पांव की ऐड़ी की हडï्डी दुर्घटना में टूटने के बाद आपरेशन होने के कारण पलस्टर बंधा हुआ था। इसी पलास्टर के साथ वह जिला चिकित्सालय पहुंचा तो एक्स-रे में टेक्नीशियन ने उसके टूटे हुए दाहिने पांव की बजाय सही सलामत बांए पांव का एक्स-रे कर दिया।
रमेश ने कहा कि पांव ये वाला टूटा है तो आप इसका एक्स-रे क्यों कर रहे हैं। इस पर टेक्नीशियन ने एफआईआर के बाद चिकित्सक द्वारा तैयार इंजरी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि जिस पांव में चोट का जिक्र इंजरी रिपोर्ट में किया जाता है उसी का डायगनोसिस होता है।
इंजरी रिपोर्ट में गलत सूचना भरने की जानकारी सामने आने पर रमेश के पांवों से जमीन निकल गई। ऐसे में चिकित्सकीय लापरवाही के कारण उसकी एफआईआर के आधार पर मिलने वाले हर्जाने की आस भी खतम हो गई।
यूं हुई गडग़ड़ी
दरअसल, दुर्घटना के बाद जब रमेश चिकित्सालय उपचार के लिए पहुंचा था तो उसके खरोंचे भी थी। चिकित्सालय में जो चिकित्सक मिला उसने उसकी प्रथम जांच की। इसके बाद एक्स-रे करवाने पर पांव में फ्रेक्चर सामने आया तो उसने ऑर्थोपेडिक चिकित्सक को दिखाया।
पुलिस का कहना है कि नियमानुसार प्रथम जांच करने वाला चिकित्सक ही इंजरी रिपोर्ट बनाता है। इंजरी रिपोर्ट के आधार पर ही आगे डायगनोसिस करके एवीडेंस एकत्रित किए जाते हैं। इस केस में रमेश के चिकित्सालय पहुंचते ही जांच करने वाले चिकित्सक ने एक्सरे की रिकमंडेशन तो कर दी, लेकिन एक्सरे की रिपोर्ट में क्या आया इसके बारे में जानकारी जुटाने की जहमत नहीं उठाई।
इससे दुर्घटना के दौरान टूटे हुए दांए पांव की एडी की बजाय सिर्फ बाएं पांव में आई खरोच को ही इंजरी रिपोर्ट में शामिल करके इंजरी रिपोर्ट बना दी गई। पुलिस ने भी इस पर आपत्ति दर्ज करवाए बिना बाएं पांव का ही एक्सरे करवा दिया।
-क्या होती है इंजरी रिपोर्ट?
दुर्घटना, हादसे, मारपीट आदि की घटनाओं में जब एफआईआर बनती है तो सरकारी चिकित्सालयों में उपचार के दौरान प्रथम चिकित्सक जो पीडि़त को देखता है वह अपराध से पीडि़त व्यक्ति के बाहरी और अंदरूनी चोटों का जायजा और जांच करता है।
इसके बाद वह पुलिस को हादसे या दुर्घटना में पीडि़त को लगने वाली चोटों के ब्योरे वाला एक दस्तावेज (इंजरी रेपोर्ट या आईआर) देता है । यही दस्तावेज़ न्यायालय में अपराध या दुर्घटना कारित होने का प्रमुख एवीडेंस होता है।
इसी के आधार न्यायालयों के निर्णय होते हैं। अब इस प्रकरण में जब दाहिने पांव की बजाय बाएं पांव चोट बताकर एक्सरे करवाया गया है तो पीडि़त को उसके उपचार में किए गए खर्च और उसके नुकसान की क्षतिपूर्ति नहीं मिल पाएगी क्योंकि एवीडेंस में दाहिने की जगह बांए पांव की रिपोर्टें चार्जशीट के साथ जाएंगी, जिसमें चोट ही नहीं है।