अनंत चतुर्दशी 2019: भाद्रपद में शुक्लपक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी कहा जाता है। इस बार यह 12 सितंबर यानि आज मनाया जा रहा है। अनंत का अर्थ है, जिसका ना आदि हो और न ही अंत हो, अर्थात वह केवल भगवान विष्णु हैं। भगवान विष्णु का ही दूसरा नाम अनंत है। इस दिन भगवान अनंत की पूजा और अर्चना की जाती है।
अनंत पूजा का शुभ मुहूर्त-
इस दिन ‘अनंत’ भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। यही नहीं आज के दिन भगवान गणेश की मूर्तियों का विसर्जन भी किया जाता है। अनंत चतुर्दशी 12 सितंबर को सुबह 05:06 बजे से लगेगी और 13 सितंबर को 7:35 सुबह तक रहेगी इसके बाद पूर्णिमा तिथि शुरू हो जाएगी। अनंत चर्तुदशी पूजा का मुहूर्त 12 सितंबर को सुबह 06 बजकर 13 मिनट से 13 सितंबर की सबुह 07 बजकर 17 मिनट तक।
जानें पूजा विधि-
इस दिन कलश पर अष्टदल कमल के सामान बने बर्तन पर कूश से निर्मित अनंत की स्थापना की जाती है। इसके पास कुमकुम, केसर, हल्दी रंगित चौदह गांठों वाला अनंत भी रखा जाता है। कुश के अनंत की वंदना कर के उसमें भगवान विष्णु का आवाहन तथा ध्यान कर के गंध, अक्षत, पुष्पों, धूप, दीप तथा नैवेद्य से पूजन किया जाता है। इसके बाद कथा सुनाया जाता है। श्रीकृष्ण कहते हैं कि भाद्र शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन कच्चे धागे में 14 गांठ लगाकर कच्चे दूध में डूबोकर ओम अनंताय नमः मंत्र से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इससे सभी समस्याएं दूर होती हैं
अनंत पूजा व्रत की कथा-
प्राचीन काल में सुमंतु नामक ऋषि अपनी पत्नी दीक्षा के साथ वन में निवास करते थे। ऋषि को एक पुत्री हुई जिसका नाम सुशीला रखा गया। सुशीला के जन्म के कुछ समय बाद इनकी माता दीक्षा का देहांत हो गया और सुमंतु ऋषि ने दूसरा विवाह कर लिया। लेकिन दूसरी मां सुशीला को पसंद नहीं करती थी।
कुछ समय बाद जब सुशीला बड़ी हुई तो उसका विवाह कौण्डिल्य नामक ऋषि के साथ कर दिया गया। ससुराल में भी सुशीला को सुख नहीं था। कुछ लोगों को अनंददेव की पूजा करते देख सुशीला ने भी यह व्रत रखना शुरू कर दिया। उसकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता चला गया। सुशीला के पति कौण्डिल्य को लगा कि सब कुछ उनकी मेहनत से हो रहा है। कौण्डिल्य ऋषि ने कहा कि यह सब मेरी मेहनत से हुआ है और तुम इसका पूरा श्रेय भगवान विष्णु को देना चाहती हो। ऐसा कहकर उसने सुशीला के हाथ से धागा उतरवा दिया।
भगवान इससे नाराज हो गए और कौण्डिल्य फिर से गरीब हो गए। ऋषि को अपनी भूल का अहसास हुआ और उन्होंने लगातार 14 वर्षों तक यह व्रत रखा। इस व्रत के प्रभाव से इनकी स्थिति फिर से अच्छी होती चली गई।
गणेश विसर्जन मुहूर्त-
वहींं गणेश चतुर्थी को विराजमान हुए गणपति का अनंत चतुर्दशी के दिन विसर्जन किया जाता है। हालांकि लोग अपने हिसाब से अलग-अलग दिन जैसे 5, 7 दिन का भी विसर्जन कर देते हैं लेकिन अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन की परंपरा है। इस दिन वैसे कभी भी विसर्जन कर सकते हैं लेकिन यहां हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे मुहूर्त जिसमें गणेश विसर्जन करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है। सुबह 06 बजकर 08 मिनट से सुबह 07 बजकर 40 मिनट तक और शाम 04 बजकर 54 मिनट से शाम 06 बजकर 27 मिनट तक