ओंगोल। आंध्र प्रदेश में ओंगोल की एक अदालत ने सोमवार को यहां 12 कुख्यात अपराधियों को मृत्युदंड दिया और सात अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
आठवें अतिरिक्त सत्र अदालत के न्यायाधीश एम मनोहर रेड्डी ने गिरोह के सरगना अब्दुल सम्मद उर्फ मुन्ना समेत कुख्यात गिरोह के 12 सदस्यों को तीन अपराधों में मौत की सजा सुनाई।
अभियोजन पक्ष के अनुसार 12 सदस्यीय गिरोह ने 2008 में प्रकाशम जिले में चेन्नई-कोलकाता राजमार्ग पर कई लॉरी ड्राइवरों और क्लीनर को मार डाला। वे पहले लॉरी के साथ लूटा गया सामान बेचते थे। बाद में गिरोह मद्दीपाडु गांव में लॉरियों को तोड़कर कबाड़ के रूप में बेच देता था।
मुख्य आरोपी अब्दुल सम्मद खुद को पुलिस अधिकारी बताकर लॉरियों को रोकता था। गिरोह के सदस्य लॉरी के चालक और क्लीनर पर हमला करते थे, उन्हें मारते थे और पास के सुनसान इलाकों में दफना देते थे। गिरोह ने चालकों और क्लीनर की हत्या करने के बाद उनके शवों को अलग-अलग जगहों पर दफना दिया था।
पुलिस ने जांच के दौरान शवों को जमीन से बाहर निकाला। पुलिस ने बताया कि गिरोह ने 13 लॉरी चालकों और क्लीनर को मार डाला और गिरोह के खिलाफ 22 मामले दर्ज किए गए थे।
वर्ष 2008 में एक लॉरी मालिक वीरप्पन मुप्पू स्वामी की शिकायत मिलने पर प्रकाशम जिले के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक वी विनयचंद ने सिलसिलेवार हत्याओं की जांच के लिए विशेष टीमों का गठन किया और व्यक्तिगत रूप से जांच की निगरानी की। अदालत ने तीन जघन्य अपराधों में 19 आरोपियों को मौत की सजा और आजीवन कारावास की सजा सुनाई।