
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आन्ध्र प्रदेश। आन्ध्र प्रदेश की केबिनेट ने विधान परिषद् को खत्म करने के प्रस्ताव को पास कर दिया है। यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की अगुआई वाली वाईएसआर कांग्रेस सरकार ने विधान परिषद में तीन राजधानियों वाला फॉर्म्युला अटकने के बाद यह फैसला लिया।
वाईएसआर कांग्रेस ने विपक्षी दल टीडीपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह तीन राजधानी वाले प्रस्ताव को रोकने के लिए अपने बहुमत का गलत इस्तेमाल करती है, जबकि यह प्रस्ताव विधानसभा में पास हो चुका है। वहीं टीडीपी ने इसका विरोध जताते हुए कहा है कि इससे जगमोहन सरका ने सिद्ध कर दिया है कि यहा पर कोई संवैधानिक आदर्श नहीं बचा है।
क्या है विवाद?
आन्ध्र प्रदेश में तीन राजधानियों वाले बिल को लेकर सीएम जगनमोहन रेड्डी और विपक्ष के नेता चंद्रबाबू नायडू के बीच खींचतान चल रही है। इस प्रस्ताव से अनुसार आन्ध्र प्रदेश में तीन राजधानियां बन जाएगी। जिसमें कार्यकारी राजधीनी विशाखापट्टनम, विधायी राजधानी अमरावती और न्यायिक राजधानी कुर्नुल होगी। जिसके लिए यह बिल विधानसभा में तो पास हो चुका है, लेकिन विधान परिषद् में अटक गया है। क्योंकि वहां पर सरकार के पास पर्याप्त बहुमत नहीं है।
सरकार का तर्क
वाईएसआर कांग्रेस के अनुसार इस नए प्रस्ताव के बाद सभी सरकारी कार्यालय जिसमें मुख्यमंत्री कार्यालय, राजभवन और सचिवालय के कई दफ्तर शामिल हैं वे सभी विशाखापट्टनम शिफ्ट किए जाएंगे। वहीं हाई कोर्ट को कुर्नुल शिफ्ट किया जाएगा। और विधानसभा अमरावती में रहेगी। इस प्रकार तीन राजधानियों की अवधारणा के पीछे सरकार का तर्क है कि इससे राज्य के तीनों क्षेत्रों उत्तरी, दक्षिणी और रायलसीमा पर समान रूप से विकास हो पाएगा।