

सबगुरु न्यूज-सिरोही। सिरोही के कांग्रेस सभापति मनु मेवाड़ा के खिलाफ सिरोही जिले के पत्रकारों ने विरोध दर्ज करवाया। सभापति में उनके खिलाफ चलाई जा रही खबरों को लेकर फ्रीलांस पत्रकार को दबाव में लेने के लिये कथित झूठा मुकदमा दर्ज करवाया। सभापति की इस हरकत में पुलिस के आला अधिकारी की सांठगांठ का भी आरोप लगाया गया है।
इसी तरह सिरोही सभापति के खिलाफ जिलेभर के आम लोग भी उतरे और उन्होंने भी मुख्यमंत्री के नाम सभापति के खिलाफ ज्ञापन देते हुए सभापति के निलंबन की मांग की है।
सिरोही के सभापति मनु मेवाड़ा ने दो दिन पहले सिरोही कोतवाली में इस बाबत प्रकरण दर्ज करवाया था कि उनके खिलाफ एक पोर्टल में समाचार प्रकाशित किया था। जिसमें उन्हें ब्लैकमेल किया गया और खबर नहीं प्रकाशित करने के लिए संबंधित फ्रीलांस पत्रकार ने उन्हें ब्लैकमेल किया। सिरोही पुलिस के प्रकरण दर्ज करने के बाद जिले भर के पत्रकारों ने इनके खिलाफ रोष जताया।
सभी पत्रकार संगठनों के जिले भर के 5 दर्जन से ज्यादा पत्रकार एकत्रित हुए। उन्होंने मुख्यमंत्री को सभापति के खिलाफ ज्ञापन दिया। ज्ञापन के दौरान सभी पत्रकार कांग्रेस सभापति की इस हरकत को मीडिया की आवाज दबाने की हरकत मानकर सांकेतिक रूप से मुंह पर काली पट्टी बांधकर कलेक्टर के समक्ष पहुचे।

-जिले भर से लोगों ने भी दिए ज्ञापन
सिरोही के फ्रीलांस पत्रकार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने पर सिरोही सभापति के खिलाफ जिला भर के लोग भी कलेक्टर कार्यालय पर उपस्थित हुए। इन लोगों ने सिरोही सभापति की इस हरकत को लोकतंत्र का गला घोंटने वाली हरकत करार दिया।
सभापति की हरकत के खिलाफ विरेन्द्र सिंह चोहान, दिलीपसिह माडाणी, कुलदीप सिह पालडी एम, सुजानसिह वडवज, महेन्द्र सिह परमार, गणपतसिह केलाशनगर, नारायण सिंह देलदर, मनोरसिह मनोरा, गणपतसिह राठौर, पुरणसिह बागसिन, दीपेन्द्र सिंह पिथापुरा, लक्ष्मण सिंह पोसिनदरा, देवीसिह मणडार, अजीत सिंह निम्बोडा, हरिसिंह रेवदर, घनश्याम सिह डोडुआ, हरदयालसिह अणगोर, मागुसिह बावली, रामसिह भुतवास, खगारसिह माणडोली, गोपालसिह रामसिन, देवीसिह आबु पर्वत, नेनसिह राजपरोहीत, तरूण सिंह ओरीया ज्ञापन सौंपते समय उपस्थित थे।
अशोकसिह आबु पर्वत, विक्रम सिंह देवल, गोविंद सिंह परमार, अर्जुन सिंह, किशोर सिंह बनास, नरपतदान चारण आबु पर्वत महावीरसिह जाकोडा, रणजीत सिह अरठवाडा, दिग्विजयसिंह माडाणी, दिनेशसिह, चन्दनसिह जामोतरा, सुरेन्द्र सिंह जैला, सुरेन्द्र सिंह सिदरट, पार्षद प्रवीण सिह निम्बोडा, मगल सिह पराडीया आदि शामिल थे।
-ज्ञापन में की सभापति को बर्खास्त करने की मांग
मुख्यमंत्री के नाम सभापति।के खिलाफ सौंपे गए ज्ञापन में बताया गया कि सिरोही जिले में पत्रकार गणपत सिंह मांडोली पिछले करीब 10 सालों से पत्रकारिता कर रहे हैं। अपनी कलम की धार से गणपतसिंह मांडोली ने जनहित से जुड़े कई मुद्दों को अनेक अवसरों पर खबरों के माध्यम से शासन प्रशासन तक पहुंचाया हैं। जिनसे आमजन की पीड़ा सरकार तक पहुंची और उन्हें राहत भी मिली। जिसके कारण पत्रकार गणपतसिंह मांडोली की छवि जिले की आम जनता के दिलो दिमाग में विशेष स्थान बना चुकी हैं।
पत्रकार गणपतसिंह मांडोली ने पुलिस महकमे के कई अधिकारियों की कमियों, भ्रष्टाचार और लापरवाही को उजागर की, जिससे इन अधिकारियों की हकीकत जनता के सामने आई है कि किस तरह से जनता की रक्षक पुलिस ही भ्रष्ट बनी हुई है। इस कारण सिरोही पुलिस के कप्तान और कई अधिकारी पत्रकार गणपतसिंह मांडोली से नाराज़ हैं और इसी नाराजगी के चलते पुलिस के कई अधिकारी गणपतसिंह मांडोली को झूठे मामलों में फंसा कर उनकी लेखनी को खामोश करना चाहते हैं।
ज्ञापन में बताया गया कि शराब का व्यवसायी और नगरपरिषद सभापति महेंद्र मेवाड़ा पहले जिलेभर में खुद के नाम से कई शराब की दुकानें संचालित रही, लेकिन जब से सभापति बने हैं तब से अपने परिवार के अन्य सदस्यों या रिश्तेदारों के नाम से शराब की दुकानें आवंटित करवाकर शराब का व्यवसाय करता हैं। इसमें आरोप लगाया कि वर्तमान में भी सिरोही शहर के गोईली चौराहे पर इनके रिश्तेदार के नाम से शराब की दुकान आवंटित है। जिसका संचालन महेंद्र मेवाड़ा की देखरेख में ही चल रहा हैं। और जिस भवन में यह दुकान संचालित होती हैं। वो भवन महेंद्र मेवाड़ा के स्वामित्व का ही भवन हैं।
11 मार्च को कथित रूप से सभापति महेंद्र मेवाड़ा के स्वामित्व की इसी भवन में संचालित शराब ठेके में कुछ लोगों को शराब पिलाई जा रही थी। जो सरासर नियमों के खिलाफ है। इन लोगों में सिरोही पुलिस की जिला विशेष शाखा का प्रभारी सीताराम डांगी भी खुद शराब की पार्टी कर रहा था। जिसका स्ट्रिंग ऑपरेशन पत्रकार गणपतसिंह मांडोली ने किया और अपनी जिम्मेदारी व धर्म निभाते हुए उस खबर को प्रकाशित भी किया। यह खबर प्रकाशित होने के बाद एएसआई सीताराम डांगी को जिला विशेष शाखा के प्रभारी के पद से हटाकर पुलिस लाइन भी भेजना पड़ा था, लेकिन इसके बाद इस भवन का मालिक महेंद्र मेवाड़ा और पुलिस के अधिकारी पत्रकार गणपतसिंह से खुन्नस रखने लगे और उन्हें झूठे मुकदमें में फंसाने की योजना बनाने लगे।
ज्ञापन में आरोप लगाया कि गणपत सिंह मांडोली की इस खबर से तिलमिलाए पुलिस के एक आलाधिकारी के इशारे पर सभापति महेंद्र मेवाड़ा ने पत्रकार गणपतसिंह मांडोली के विरुद्ध सिरोही कोतवाली थाने में एक झूठा मुकदमा दर्ज करवाया गया। जिसमें लिखा गया कि महेंद्र मेवाड़ा के नाम से जिलेभर में कोई शराब की दुकान नही हैं और पत्रकार गणपतसिंह मांडोली ने सभापति महेंद्र मेवाड़ा को उनकी शराब की दुकानों की खबरें नही चलाने की एवज में रुपयों की मांग की जा रही हैं। शराब की बोतलों की मांग की जा रही हैं।
ज्ञापन में बताया गया कि सभापति महेंद्र मेवाड़ा द्वारा सिरोही कोतवाली थाने में दर्ज करवाई इस रिपोर्ट में वो स्वयं मानते हैं कि उनके नाम से कोई शराब की दुकान ही नही हैं तो फिर उनकी कौनसी शराब की दुकान की खबर नही छापने की एवज में रुपयों की मांग की गई? जब उनकी शराब की दुकान ही नहीं है तो फिर उनकी कौनसी दुकान से शराब की बोतलें पत्रकार गणपतसिंह मांडोली को मुफ्त दी गई? इतना स्पष्ट होने के बावजूद पुलिस ने पत्रकार के विरुद्ध झूठा मामला क्यों दर्ज किया गया? इससे यह स्पष्ट होता हैं कि पूरे मामले का मुख्य उद्देश्य एक दंबग पत्रकार को सिर्फ और सिर्फ परेशान करने का ही हैं।
पत्रकार संगठनों और सामान्य नागरिकों की ओर से सौंपे गए ज्ञापन में मुकदमा वापस लेने और मिथ्या आरोप लगाकर लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के प्रहरी को परेशान करने वाले सभापति महेंद्र मेवाड़ा को बर्खास्त करने की मांग की गई।