अजमेर। राजस्थान के अजमेर में लाकडाऊन के दौरान जिले भर के पोल्ट्री फार्म में मुर्गियों के मरने के मामले में पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डा. अजय अरोड़ा और राष्ट्रीय अंडा समन्वयक समिति (नैक) के अध्यक्ष डा. राजकुमार जयपाल में रविवार को हुए विवाद ने तूल पकड़ लिया है।
सूत्रों ने आज बताया कि दोनों ने इस मामले को लेकर एक दूसरे के खिलाफ सिविल लाइन थाने में मामला दर्ज करा दिया है। इससे मामला तूल पकड़ गया है। इसको लेकर जयपाल समर्थक कांग्रेसी लामबंद हो गए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर अजमेर में अफसरशाही के हावी होने का आरोप लगाते हुए डा. अरोड़ा को जिलाबदर करने और मामले की निर्धारित समय में हाईपावर कमेटी से जांच कराने की मांग की है।
मांग करने वालों में शहर कांग्रेस के उपाध्यक्ष गुलाम मुस्तफा एवं प्रतापसिंह यादव, महासचिव महेश ओझा और ललित भटनागर सहित दो दर्जन से ज्यादा कांग्रेसी शामिल हैं। मांग की एक प्रति उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को भी दी गई है।
महासचिव महेश ओझा ने पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया को भी पत्र भेजकर कार्रवाई की मांग की है। इस मामले में कल डॉ जयपाल के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक से भी मुलाकात करके डॉ. अरोड़ा के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेगा। मामले की जांच एससी-एसटी सेल के उपाधीक्षक सुरेंद्र सिंह को सौंपी गई है।
उल्लेखनीय है कि संयुक्त निदेशक डॉ. अरोड़ा ने अपनी प्राथमिकी में डॉ. जयपाल एवं उसके तीन अन्य साथी कुलदीप कपूर, फखरे मोईन और विजयराज पारीख के खिलाफ लोक सेवक के साथ मारपीट एवं राज कार्य में बाधा पहुंचाने का मामला दर्ज कराया है। दूसरी ओर डॉ. जयपाल ने डॉ. अरोड़ा के खिलाफ एससी एसटी एक्ट के तहत जातिसूचक शब्दों से प्रताड़ित करने एवं गिरेबां पकड़कर देख लेने की धमकी का मुकदमा दर्ज कराया है।
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