नई दिल्ली। प्रख्यात समाजसेवी अन्ना हजारे ने लोकपाल की नियुक्ति और किसानों की समस्याओं के समाधान की मांग को लेकर एक सप्ताह पहले यहां शुरू किया गया अपना अनशन सरकार से लिखित आश्वासन मिलने के बाद गुरुवार को समाप्त कर दिया।
अन्ना ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस के हाथों जूस पीकर अपना अनशन तोड़ा। इस मौके पर केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह द्वारा लिखी गई चिट्ठी पढी जिसमें अन्ना की सभी 11 मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया गया है।
अन्ना के सहयोगी जयकांत मिश्रा ने बताया कि अन्ना ने सरकार के आश्वासनों को स्वीकार करते हुए अनशन तोड़ने का फैसला किया। अन्ना ने कहा कि सरकार ने जल्दी से जल्दी लोकपाल की नियुक्ति का आश्वासन दिया है और यदि उनकी मांग छह माह के भीतर पूरी नहीं होती है तो वह आगामी सितम्बर में फिर से अनशन पर बैठेंग।
उन्होंने कहा कि चुनाव सुधारों की मांग के बारे में सरकार ने एक प्रस्ताव तैयार करने का आश्वासन दिया है जिसे वह चुनाव आयोग को भेजेगी। सरकार की आेर से भेजी गई चिट्ठी में कहा गया है न्यूनतम समर्थन मूल्य फसल की लागत का डेढ गुना करने का निर्णय ले लिया गया है।
स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार इसमें सभी खर्च शामिल किए जाएंगे और श्रम लागत को भी जोडा जाएगा। फसल खराब होने पर क्षेत्र की जगह व्यक्तिगत नुकसान को आधार बनाया जायेगा। कृषि ऋण पर लिया गया चक्रवृद्धि ब्याज किसानों को वापस किया जाएगा।
अस्सी वर्षीय अन्ना ने अपनी इन मांगों को लेकर रामलीला मैदान में 23 मार्च से अनशन शुरू किया था। इस दौरान महाराष्ट्र के जल संसाधन मंत्री ने भी उनसे मुलाकात की थी।