नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि देश ने अपना आन्तरिक और बाह्य सुरक्षा चक्र इतना मजबूत कर लिया है कि एक और मुंबई आतंकवादी हमले को हिंदुस्तान की धरती पर अंजाम देना अब लगभग नामुमकिन है।
सिंह ने एक सम्मिट में ‘राष्ट्रीय सुरक्षा का नया युग’ विषय पर बाेलते हुए कहा कि मुंबई हमले के कारण देश को राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति को बदलना पड़ा था। उसके बाद से और खासतौर पर पिछले कुछ सालों में देश की सुरक्षा को लेकर कुछ बदलाव किए गए है।
उन्होंने कहा कि आज हम सभी देशवासियों को यह विश्वास जरूर दिला सकते है, कि अब भारत ने अपना आन्तरिक और बाह्य सुरक्षा चक्र इतना मजबूत कर लिया है कि एक और 26/11 को हिंदुस्तान की धरती पर अंजाम देना अब लगभग नामुमकिन है।
हाल ही में नागरौटा में चार आतंकवादियों के मुठभेड़ में मारे जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों ने पाकिस्तान की एक और साजिश को नाकाम कर दिया है। पाकिस्तान का भारत के खिलाफ आतंकवाद का मॉडल धीरे धीरे ध्वस्त हो रहा है।
आतंकवाद के खिलाफ भारत के जवाब में बदलाव आया है। अब आतंकवाद के खिलाफ भारत का रेस्पांस एक्शन 360 डिग्री पर हो रहा है। अब भारत देश की सीमाओं के भीतर तो कार्रवाई कर ही रहा है साथ ही जरूरत पड़ने पर सीमा पार जाकर भी आतंकवादी ठिकानों को नष्ट करने का काम हमारी सेना के बहादुर जवान कर रहे है।
उन्होंने कहा कि समुद्र के रास्ते आतंकवादी हमले से निपटने के लिए अब भारत ने विशेष तैयारी की है। अब नौसेना, तटरक्षक बल और मैरीन पुलिस ने तटवर्ती क्षेत्रों में एक ऐसा त्रिस्तरीय सुरक्षा कवर तैयार किया है कि कोई भी संदेहास्पद गतिविधि उससे बच नहीं सकती। नौसेना में ‘सागर प्रहरी बल’ तैयार किया जा रहा है जो ‘फोर्स मल्टीप्लायर’ का भी काम करेगी।
सिंह ने कहा कि आतंकवाद का कारोबार करने वालों के लिए अब भारत सोफ्ट टारगेट नहीं रहा है। हमने आतंकवाद को पनाह देने वालों के लिए इस काम को इतना महंगा कर दिया है कि पाकिस्तान जैसे देश को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। बारह वर्षों में देश में मौजूद हर तरह के आतंकी ढांचे को ध्वस्त करने में कामयाबी पायी है। अब अगला कदम आतंकवाद के वित्तीय ढांचे को ध्वस्त करने की दिशा में लिया जा रहा है।
सिंह ने कहा कि भारत ने कूटनीतिक दबाव बनाकर पाकिस्तान को आतंकवाद की नर्सरी के रूप में एक्सपोज कर दिया है और अब उस पर एफएटीएफ की तलवार लटकती नजर आती है। चीन के साथ सैन्य गतिरोध के बारे में उन्होंने कहा कि समस्या चीन की एकतरफा कार्रवाई से होती है जबकि भारत ने यह तय कर लिया है कि उसे इसकी इजाजत किसी सूरत में नहीं दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि सेनाओं को खुली छूट दी गई है और गलवान घाटी में जो कुछ हुआ वह इसका उदाहरण है। उन्होंने कहा कि भारत चाहता है कि सीमा का विवाद बातचीत के रास्ते और शांतिपूर्ण ढंग से हो। मैं देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में भारत की सीमा, सम्मान, स्वाभिमान से समझौता नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा कि अब आंतरिक और बाह्य सुरक्षा को अलग अलग नहीं देखा जा सकता। आज खतरा रियल वर्ल्ड से और वर्चुअल वर्ल्ड से भी है। यहां तक कि जिन चीजों को पहले हम कुदरत की मार कहते थे कई बार उन घटनाओं को भी हमें संदेह की नजर से देखने की जरूरत है। कोरोना वायरस की महामारी सबके सामने है। इसलिए अब जलवायु परिवर्तन से लेकर आधुनिक प्रौद्योगिकी के साथ साथ कट्टरवाद और ट्रांस नेशनल आतंकवाद के खतरों से भी सचेत रहने की जरूरत है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत जैसे देशों के लिए एक खतरा और है वह है हाइब्रिड वारफेयर का जिसमें सरकारी एजेन्सियों के साथ साथ गैर सरकारी तत्व भी बड़ा खतरा बन जाते है। मैं मानता हूं कि आने वाले समय में जंग का दायरा और भी बढ़ने वाला है। अब यह थल, जल और वायु के साथ-साथ स्पेस, साइबर-स्पेस और सबसे महत्वपूर्ण लोगों के दिलो-दिमाग में भी लड़ा जाएगा। एकीकृत राष्ट्रीय सुरक्षा के अन्तर्गत इस वास्तविकता को समझना काफी जरूरी है। हमारी सरकार, आज के, और आने वाले समय के खतरों से निपटने के लिए तैयारी लगातार कर रही है।