भोपाल। मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनावों के लिए मतदान के ठीक नौ दिन पहले आज सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी ने मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को करारा झटका देते हुए उसके एक विधायक राहुल सिंह को विधानसभा की सदस्यता से ‘त्यागपत्र’ के बाद भाजपा में शामिल कर लिया।
प्रदेश भाजपा कार्यालय में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा और नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह की मौजूदगी में राहुल सिंह ने विधिवत भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। इसके पहले उन्होंने विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा को विधायक पद से त्यागपत्र सौंपा, जिसे स्वीकार कर लिया गया।
राहुल सिंह नवंबर दिसंबर 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर दमोह से पहली बार विधायक चुने गए थे और उन्होंने तब भाजपा प्रत्याशी एवं राज्य के तत्कालीन वित्त मंत्री जयंत मलैया को पराजित किया था। सिंह ने भाजपा की सदस्यता लेने के दौरान मीडिया से चर्चा में मलैया को पिता तुल्य बताया और कहा कि वे भूपेंद्र सिंह की अगुवायी में भविष्य की राजनीति करेंगे।
उन्होंने इस बात से इंकार किया कि इस कार्य के लिए उन्हें कोई प्रलोभन दिया गया है। पूर्व विधायक ने कहा कि उनकी मुख्य मांग दमोह में मेडिकल कॉलेज खोलने की थी और यह मांग कांग्रेस के 15 माह के शासन में पूर्ण नहीं हुई। मौजूदा सरकार ने विश्वास दिलाया है कि मेडिकल कॉलेज खाेलने की मांग पूरी होगी।
मध्यप्रदेश में वर्तमान में जिन 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, उनमें से 25 सीटों पर यह स्थिति तत्कालीन कांग्रेस विधायकों के त्यागपत्र के कारण बनी है। इनमें से 22 विधायकों ने इसी वर्ष मार्च माह में त्यागपत्र दिया था, जिसके चलते तत्कालीन कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई थी और 20 मार्च को कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देना पड़ा। इसके बाद शिवराज सिंह चौहान ने 23 मार्च को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। शेष तीन सीट पर उपचुनाव तत्कालीन विधायकों के निधन के कारण हो रहे हैं।
मार्च माह में कांग्रेस सरकार के पतन के बाद तीन अन्य कांग्रेस विधायकों ने भी विधायकी छोड़कर भाजपा का दामन थामा था। अब एक और कांग्रेस विधायक राहुल सिंह ने उपचुनाव के दौरान ऐसा करके कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। इस बीच भाजपा सूत्रों ने इस बात से इंकार नहीं किया है कि भविष्य में इस तरह के कुछ और कांग्रेस विधायक, विधायकी छोड़कर भाजपा में आ सकते हैं।
मध्यप्रदेश विधानसभा में कुल 230 सीट हैं। इनमें से 28 पर उपचुनाव हो रहे हैं। आज एक और सीट रिक्त होने के बाद अब 201 विधायक शेष रह गए हैं। इनमें से 107 विधायक सत्तारूढ़ दल भाजपा के हैं। जबकि कांग्रेस के विधायक 88 से घटकर 87 हो गए हैं। इसके अलावा बसपा के दो, सपा का एक और चार निर्दलीय विधायक हैं।
वहीं दिसंबर 2018 की स्थिति में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 114 थी, जबकि भाजपा के 109 विधायक थे। सदन में कुल 230 विधायक होने की स्थिति में किसी भी दल को बहुमत साबित करने के लिए न्यूनतम 116 विधायकों का समर्थन चाहिए है। प्रदेश भाजपा कार्यालय में भाजपा की विधिवित सदस्यता लेने के बाद राहुल सिंह ने कहा कि 15 माह के कमलनाथ शासन के दौरान विकास के कोई कार्य नहीं हुए।
किसानों की ऋणमाफी भी नहीं हुई। इस वजह से वे क्षेत्र में जनता के सामने नहीं जा पा रहे हैं। और अब कांग्रेस नेता मुख्यमंत्री के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री चौहान के नेतृत्व में ही विकास संभव है। इसलिए वे व्यथित होकर विधायक पद से त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल हुए। उन्होंने इस बात से इंकार किया कि उन्हें कोई प्रलोभन दिया गया।
इस मौके अपने संबोधन में चौहान, शर्मा और अन्य पार्टीजनों ने राहुल सिंह का पार्टी में स्वागत किया।