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Another irregularity of BJP regime unfold in Sirohi municipal board, recovery notice issued - Sabguru News
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सिरोही के पूर्व सभापति, आयुक्त, लेखाकार, स्टोरकीपर को 72 लाख का रिकवरी नोटिस

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सिरोही के पूर्व सभापति, आयुक्त, लेखाकार, स्टोरकीपर को 72 लाख का रिकवरी नोटिस
सिरोही नगर परिषद।
सिरोही नगर परिषद।
सिरोही नगर परिषद।

सबगुरु न्यूज-सिरोही। सिरोही में भाजपा के पूर्व बोर्ड में हुए एक और अनियमितता की फ़ाइल खुली है। इस प्रकरण में तो पूर्व सभापति ताराराम माली समेत 7 जनों से राजकोष को नुकसान पहुंचाने के लिए ₹ 72 लाख 11 हजार 942 की रिकवरी का नोटिस नगर परिषद आयुक्त ने जारी किए हैं। सात दिन में ये राशि जमा नहीं करवाने  कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।
जिस तरह से एक के बाद एक मामले सामने आ रहे हैं उससे ये स्पष्ट प्रतीत हो रहा है कि भ्रष्टाचार मिटाने के नाम पर सिरोही नगर पालिका पर काबिज हुए भाजपा के बोर्ड ने नगर पालिका को जितनी अनियमितता हुई उतई आजादी के बाद और आगे कोई नहीं कर पायेगा।
भाजपा के पूर्व बोर्ड में 2017-18 में टेंट का ठेका हुआ था। इसकी निविदा 10 लाख की थी।

लेकिन इस दौरान इस नगर परिषद में भाजपा सभापति ताराराम माली के कार्यकाल में कार्यरत आयुक्त संतलाल मक्कड़ व प्रहलाद राय वर्मा, अधिशासी अधिकारी दिलीप माथुर, लेखाकर्मी मदन दत्ता व जगदीश बारोलिया व स्टोरकीपर ने कथित रूप से सांठगांठ करके इस टेंडर को वर्ष 18-19 के लिए भी नियम विरूद्ध बढ़ा दिया। 10 लाख के टेंडर की एवज में करीब 64 लाख रुपये का भुगतान टेंट फर्म का कर दिया गया।
इस प्रकरण के सामने आने पर सिरोही नगर परिषद आयुक्त ने इस पूरी पत्रावली को जांच करने के बाद अग्रिम कार्रवाई के मार्गदर्शन के लिए 30 जून 2019 को जोधपुर स्वायत्त शासन के क्षेत्रीय उपनिदेशक को भिजवाया था। क्षेत्रीय उप निदेशक ने पत्राचारों के बाद 30 दिसम्बर 2020 को टेंट फर्म को करीब 60 लाख रुपये से ज्यादा की राशि का अतिरिक्त भुगतान  करने वाले जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों और कार्मिकों से ये राशि वसूलने और उनके खिलाफ कानूनी करवाई के आदेश दिए।

इतना ही नहीं इसी तरह के और मामले मिलने पर उनमें भी इसी तरह की करवाई करने के आदेश जारी किए। इस स्वीकृति के बाद सिरोही नगर परिषद आयुक्त ने शुक्रवार को उस कार्यकाल में तैनात उक्त सभी जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों और कार्मिकों से सात दिन में टेंट के लिए भुगतान की गई अतिरिक्त राशि नगर परिषद में जमा करवाने का नोटिस जारी किया है।
-किससे कितने रुपये की वसूली
नोटिस में जिन सात कार्मिकों से वसूली कि जानी है उनमें सबसे ज्यादा रिकवरी सभापति ताराराम माली और स्टोर कीपर रामलाल परिहार से की जानी है। दोनो को टेंट किराए के लिए अतिरिक्त भुगतान की गई राशि में से 18-18 लाख (18 लाख 2 हजार 987) की रिकवरी का नोटिस जारी किया गया है।

इनके अलावा आयुक्त संतलाल मक्कड़ के नाम ₹ 6 लाख 24 हजार 508, प्रह्लाद राय वर्मा को 7 लाख एक हजार 989, तत्कालीन अधिशासी अधिकारी दिलीप माथुर से 4 लाख 76 हजार 487, तत्कालीन लखाकर्मी मदन दत्ता से 13 लाख 26 हजार 497 व लखाकर्मी जगदीश बारोलिया से 4 लाख 76 हजार 487 रुपये की रिकवरी का नोटिस जारी किया गया है।
-ये तो सिर्फ बानगी भर है
अभी भ्रष्टाचार की वो पत्रवलियाँ हैं जो स्टोर की हैं। स्वच्छ भारत, टॉयलेट में पानी भरने, सफाई ठेका, जमीनों के पट्टे जारी करने, सिविल वर्क के ठेकों की पत्रवलियाँ तो बाकी हैं। जिस तरह से अनापशनाप पैसा खर्च सामने आ रहा है, उससे ये लग रहा है कि भाजपा बोर्ड ने अधिकारियों और कार्मिकों के साथ मिलकर राजकोष का इस्तेमाल ऐसे किया है जैसे वो जनता का धन नहीं अपनी पॉकेट मनी खर्च कर रही हो।
गत वर्ष हुए सिरोही नगर परिषद चुनावों में भाजपा के द्वारा फैलाये इन्हीं कथित भ्रष्टाचारों को मुद्दा बनाकर कांग्रेस ऐतिहासिक जीत के साथ नगर परिषद पर काबिज हुई है। भाजपा का ताराराम माली का बोर्ड नगर परिषद में कांग्रेस के पूर्व बोर्ड के भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर काबिज हुआ था, लेकिन वो इस तरह से कांग्रेस के बोर्ड के कथित भ्रष्टाचारों को उजागर नहीं कर पाया जिस तरह वर्तमान बोर्ड भाजपा के भ्रष्टाचार को कर रहा  हैं।
-ढूंढा जाता था सबसे भ्रष्ट अधिकारी
नगर परिषदें और पंचायतें विशेषकर स्थानीय सरकारों का स्थानीय राजनीतिक खर्चा निकालने का माध्यम बन चुकी हैं।  सूत्रों की मानें तो अधिकांश नगर निकायों की तरह सालों सिरोही में भी राजकोष को चूना लगाने के लिए कुछ स्थानीय कार्मिक और नेता तो इसी कोशिश में लगे रहते थे कि जनधन लूटने के लिए कितना भ्रष्ट अधिकारी यहाँ पर तैनात करवाया जा सके। कुछ कार्मिक तो इसके विशेषज्ञ थे।

इस कुकर्म में बोर्ड में सत्ताधारी पार्टी के ही राज्य सरकार में भी काबिज हो जाने पर तो जैसे पौ बारह हो जाती है।  ऐसे में गांव और शहर से राज्य और केंद्र तक कड़ी से कड़ी मिलाने का राजनीतिक जुमले में मूल रूप से ढांचागत विकास की बजाय भ्रष्टाचार के विकास की कड़ी मिलाने का हिडन एजेंडा ज्यादा नजर आता है। इन भ्रष्टाचारों की तरफ आंख मूंदकर बैठने से कई बार तो निकायों और पंचायतों के ये भ्रष्टाचार उस समय के क्षेत्र के स्थानीय विधायकों के राजनीतिक भविष्य को भी बर्बाद करने का कारण बन जाते हैं।

इनका कहना है…
रिकवरी के नोटिस सबको कला ही रजिस्टर्ड डाक से भेज दिए गए हैं। नोटिस तामील होने के 7 दिन की शुरुआत होगी।
महेंद्र चौधरी
आयुक्त, नगर परिषद, सिरोही।