लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि एंटीजन टेस्ट के पॉजिटिव होने के बाद हॉस्पिटल में भर्ती करने के लिए आरटीपीसीआर टेस्ट के पॉजिटिव होने की कोई आवश्यकता नहीं है। मरीज को जितना जल्दी इलाज मिलेगा, वह उतना ही जल्द स्वस्थ होगा।
योगी ने सोमवार को टीम-11 के साथ समीक्षा बैठक में कहा कि इंटीग्रेटेड कमांड एन्ड कंट्रोल सेंटर से मरीज को जो अस्पताल आवंटित किया गया है, वहां उसे एडमिट करना अनिवार्य है। जिलाधिकारी यह सुनिश्चित कराएं वरना जिम्मेदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री कार्यालय से इसकी मॉनिटरिंग की जाएगी।
उन्होंने कहा कि कोई भी सरकारी अथवा निजी अस्पताल बेड उपलब्ध होने पर कोविड पॉजिटिव मरीज को भर्ती के लिए मना नहीं कर सकता है। यदि सरकारी अस्पताल में बेड उपलब्ध नहीं है, तो संबंधित अस्पताल उसे निजी चिकित्सालय में रेफर करेगा। निजी हॉस्पिटल में मरीज भुगतान के आधार पर उपचार कराने में यदि सक्षम नहीं होगा, तो ऐसी दशा में राज्य सरकार आयुष्मान भारत योजना के तहत अनुमन्य दर पर वहां उसके इलाज का भुगतान करेगी।
योगी ने कहा कि मौजूदा हालात में अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं स्थगित हैं। ऐसे में टेलीकन्सल्टेशन को बढ़ावा दिया जाए। कोविड होम आइसोलेशन और नॉन कोविड मरीजों के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों की सूची/संपर्क माध्यम का व्यापक प्रचार-प्रसार कराया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि होम आइसोलेशन में इलाजरत मरीजों से सीएम हेल्पलाइन के माध्यम से हर दिन संवाद बनाया जाए। उन्हें न्यूनतम एक सप्ताह की अवधि के लिए मेडिकल किट उपलब्ध कराया जाए। स्वास्थ्य मंत्री के स्तर से मेडिकल किट वितरण व्यवस्था की जिलेवार समीक्षा की जाए। सीएमओ की जवाबदेही तय की जाए। दवाओं का कोई अभाव नहीं है। अस्पतालों में इलाजरत मरीजों से हर दिन संवाद बनाया जाए।
योगी ने कहा कि ऑक्सीजन की आपूर्ति हर दिन बढ़ती जा रही है। रुड़की, काशीपुर, मोदीनगर के साथ-साथ बोकारो आदि प्लांट से लगातार आपूर्ति सुनिश्चित कराई जा रही है। एमएसएमई इकाइयों को भी सीधे अस्पतालों से लिंक कर आपूर्ति कराई जा रही है। टाटा और रिलायंस समूहों की ओर से भी प्रदेश को ऑक्सीजन आपूर्ति का प्रस्ताव मिला है। सम्बंधित लोगों से संवाद कर तत्काल आपूर्ति सुनिश्चित कराई जाए।
उन्होंने कहा कि सभी जिलों के प्रत्येक छोटे-बड़े अस्पताल की स्थिति पर नजर रखी जाए। जिसे भी जरूरत होगी, ऑक्सीजन जरूर मुहैया कराई जाए। ऑक्सीजन के सुचारु आपूर्ति-वितरण के लिए प्रदेश के सात संस्थाओं द्वारा ऑक्सीजन की ऑडिट भी कराई जा रही है।
मंडलायुक्त और जिलाधिकारी सरकार के सतत संपर्क में रहें। व्यापक जनहित में कोई निर्णय लेने से पूर्व शासन को अवगत जरूर कराएं। आमजन को सुविधा/राहत देने के संबंध में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करें। योगी ने कहा कि कोविड से लड़ाई जीत चुके बहुत से लोग मरीजों की सेवा के इच्छुक हैं। ऐसे लोगों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। इनकी जिलेवार सूची तैयार कराएं। इनमें चिकित्सक होंगे, सैन्य कर्मी होंगे, पैरामेडिकल स्टाफ आदि हो सकते हैं। आवश्यकतानुसार अस्पतालों आदि में इनकी सेवाएं ली जाएं।
उन्होंने कहा कि रेमेडेसीवीर जैसी किसी भी जीवनरक्षक दवा का प्रदेश में अभाव नहीं है। हर दिन इसकी आपूर्ति बढ़ रही है। जिलों की मांग को देखते हुए रेमेडेसीवीर के पर्याप्त वॉयल उपलब्ध कराए जाएं। सरकारी अस्पतालों में यह इंजेक्शन निःशुल्क उपलब्ध है, जरूरत होगी तो निजी अस्पतालों को भी तय दरों पर रेमेडेसीवीर मुहैया कराई जाए। इसके साथ-साथ इसकी कालाबाजारी पर पुलिस लगातार नजर रखे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 24 घंटों में प्रदेश में 26,719 लोग उपचारित होकर डिस्चार्ज हुए हैं। प्रदेश में अब तक 8.04 लाख से अधिक लोग कोविड संक्रमण से मुक्त हो चुके हैं। यह सुखद स्थिति ‘दवाई भी-कड़ाई भी’ के सूत्र को प्रभावी ढंग से अमल में लाने का परिणाम है। हमें टेस्टिंग और ट्रेसिंग को दोगुनी क्षमता में बढ़ाने की जरूरत है। इस दिशा में कार्यवाही की जाए।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में अब तक 97,83,416 लोगों को कोविड टीके की पहली डोज दी जा चुकी है, जबकि 20 लाख से अधिक लोगों को दोनों डोज लग चुकी है। इस तरह टीके की 1,17,83,880 डोज एडमिनिस्टर की जा चुकी है। प्रदेश में वैक्सीन की पर्याप्त उपलब्धता है। एक मई से शुरू हो रहे टीकाकरण के आगामी अभियान के संबंध में विधिवत पूरी तैयारी कर ली जाए।
योगी ने कहा कि संक्रमण की तेज दर को देखते हुए वर्तमान ससाधनों में न्यूनतम दोगुने का विस्तार जरूरी है। हर तरह की चुनौती के लिए हमें तैयार रहना होगा। स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग बेड बढ़ोतरी के लिए कार्ययोजना तैयार कर लागू करे। स्वास्थ्य विभाग सभी जिलों में कम से कम दो-दो और सीएचसी को इस कार्य में जोड़ें। इसी तरह चिकित्सा शिक्षा विभाग नए मेडिकल कॉलेजों को डेडिकेटेड कोविड अस्पताल के रूप में तैयार कराए। इन अस्पतालों में ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, प्रशिक्षित मानव संसाधन की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाए।
उन्होंने कहा कि निजी अस्पतालों में कोविड मरीजों के उपचार के लिए तथा कोविड टेस्ट के लिए शासन स्तर पर दरें तय की गई हैं। मंडलायुक्त/जिलाधिकारी यह सुनिश्चित करें कि कहीं भी ओवरबिलिंग न हो। शासन ने कोविड मरीजों के लिए डिस्चार्ज पॉलिसी तय की है, उसे सभी जिलों में समान रूप से प्रभावी बनाया जाए।
स्वास्थ्य विभाग तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग यह सुनिश्चित कराए कि सभी सरकारी और निजी अस्पताल जिनकी क्षमता 100 से अधिक बेड की है, उनके पास स्वयं का ऑक्सीजन प्लांट हो। यह कार्य प्रदेश में अभियान के रूप में चल रहा है। निजी क्षेत्र को भी प्रोत्साहित करें, सरकार सभी जरूरी सहयोग देगी। ऑक्सीजन प्लांट स्थापना की कार्यवाही तेज की जाए, इसकी हर दिन समीक्षा की जाए। इस कार्य में केन्द्र सरकार का भी सहयोग प्राप्त हो रहा है। प्लान्ट स्थापना में केन्द्र सरकार को अविलंब प्रस्ताव भेज दिया जाए।
कोविड मरीजों के आवागमन के लिए सभी जिलों में पर्याप्त एम्बुलेंस उपलब्ध कराई गई हैं। यह सभी 24×7 क्रियाशील रहें। एम्बुलेंस का रिस्पॉन्स टाइम कम से कम होना चाहिए। हर जरूरतमंद को एम्बुलेंस मिले। जिलाधिकारी और सीएमओ को इसके लिए जिम्मेदार बनाया जाए।
आमजन को बेड की उपलब्धता की समुचित जानकारी उपलब्ध कराई जाए। प्रदेश में ऐसे सभी हॉस्पिटल जहां कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज हो रहा है, प्रत्येक दिन में दो बार अस्पताल में रिक्त बेड का विवरण सार्वजनिक करें। यह विवरण जिले के इंटीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर के पोर्टल पर भी अपलोड कराया जाए। बेड का आवंटन पूरी पारदर्शिता के साथ किया जाना चाहिए। सभी जिला प्रशासन इस व्यवस्था को तत्काल प्रभाव से लागू कराएं।
उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने वाले सभी कार्मिक मास्क व ग्लव्स का उपयोग करें। संक्रमण की दर में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए, पुलिस फोर्स को संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए विशेष ध्यान दिया जाए। कोरोना से बचाव के संबंध में व्यापक जागरूकता का कार्यक्रम संचालित किया जाए। इसके लिए पब्लिक एड्रेस सिस्टम का प्रभावी उपयोग किया जाए।