नयी दिल्ली । संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनिओ गुतरेस ने ‘खुले में शौच से मुक्ति’ को शीर्ष प्राथमिकता देने के लिए आज भारत की तारीफ की तथा कहा कि स्वच्छता पर निवेश आर्थिक दृष्टि से भी बुद्धिमानी है।
गुतरेस ने राष्ट्रपति भवन में ‘महात्मा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छता सम्मेलन’ के समापन के मौके पर कहा कि वर्ष 2030 तक हासिल किये जाने वाले सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) में सबके लिए स्वच्छता की सुविधा भी एक है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए नवाचार, साहस और प्रतिबद्धता की जरूरत है। उन्होंने कहा “मैं खुले में शौच से मुक्ति को शीर्ष प्राथमिकता देने के लिए भारत की तारीफ करता हूँ। यह न सिर्फ स्वास्थ्य के नजरिये से बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी बुद्धिमानी भरा कदम है।”
सम्मेलन के बारे में संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि इस महत्त्वपूर्ण मसले पर इतने सारे देशों का एक साथ आना प्रेरणादायक है। सम्मेलन में 68 देशों के 200 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया जिनमें 54 से देशों के मंत्री भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि पीने का सुरक्षित पानी और स्वच्छता पर सबका अधिकार है। यह एसडीजी की बुनियादी जरूरत है।
गुतरेस ने कहा कि स्वच्छता सुविधाओं की कमी तथा खुले में शौच का सबसे ज्यादा असर लड़कियों और महिलाओं पर होता है। शौचालयों की कमी के कारण करोड़ों बालिकाओं को पढ़ाई छोड़नी पड़ती है। महिलाओं को शौच जाने के लिए निश्चित समय का इंतजार करना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि भारत का ‘स्वच्छ भारत’ अभियान राजनीतिक प्रतिबद्धता दिखाता है। उन्होंने आश्वासन दिया कि संयुक्त राष्ट्र का पूरा तंत्र भारत को समर्थन देने के लिए खड़ा है।