पहले के दिनों में, जब सूचना युग की शुरुआत ही हुई थी, विदेश में रहना एक लक्जरी माना जाता था। यह जीवन में एक मील का पत्थर हासिल कर लेने की तरह था। दूसरे देश में रहने और काम करने की चाह रखना लगातार चलन में रहा है। काव्य की भाषा में कहें, तो यह पक्षी के अनुभवहीन छोटे बच्चे की घोंसले से बाहर विश्वास की छलांग है। विदेशों में जाने वाले लोगों की एक बड़ी तादाद है। इसकी वजह है, वहां काम के बेहतर अवसर और ऊंचे जीवन स्तर की उपलब्धता। विकासशील देशों से उत्तरी अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया के विकसित देशों में प्रवास के लिए यह खासतौर पर सच है।
वीजा मंजूर होने से संबंधित प्रक्रियाएं पहले की तुलना में बदल गई है। वीजा श्रेणियों में कई दरवाजे हैं। कोई भी व्यक्ति अपनी परिस्थिति और सुविधा के आधार पर उनमें से चुनाव कर सकता है। उम्र, उद्देश्य, निवेश (यदि कोई हो), शैक्षिक और कार्य की स्थिति आदि के आधार पर वीजा अलग-अलग होते हैं। कुछ देश वीजा के किसी प्रकार में भी श्रेणियां प्रदान करते हैं। यह संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे तुलनात्मक रूप से विकसित देशों के मामले में सच है।
फिलहाल अधिकांश मामलों में कोई व्यक्ति या तो वर्क परमिट पर किसी अन्य देश में जाता है या स्थायी निवासी वीजा (परमानेंट रेसिडेंशियल वीजा) के लिए आवेदन करता है। संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में स्थायी निवास वीजा की तुलना में वर्क परमिट हासिल करने की कम खर्चीली प्रक्रिया के कारण यह ज्यादा प्रचलित है।
एक कार्य प्रायोजक द्वारा कर्मियों की तरफ से हस्ताक्षरित वर्क परमिट एक वैधानिक दस्तावेज होता है, जो किसी विदेशी को देश में नौकरी पाने और कानूनी रूप से वहां काम करने की अनुमति देता है। एक स्थायी निवास वीजा स्थायी रहवासी का दर्जा और उससे संबंधित लाभ हैं, जो वीजा को मंजूरी देने वाले देश के अप्रवासन विभाग द्वारा किसी अन्य देश के व्यक्ति और उसके साथ-साथ उस पर निर्भर परिवार को प्रदान किए जाते हैं।
विभिन्न देशों में अस्थायी वर्क परमिट के अलग-अलग नाम हैं, जो विशेषज्ञतापूर्ण व्यवसाय के आधार पर काम देते हैं। स्थायी निवासी दर्जे के लिए भी ऐसा ही होता है। बहरहाल, जिन आधारों पर पर वीजा की शर्तें और नियम आदि बनाए गए हैं, वे काफी हद तक समान रहते हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका में अस्थायी कार्य वीजा कोड एच-1 बी के नाम से दिया जाता है, जबकि कनाडा में इसे जॉब/वर्क वीजा कहा जाता है। इसी तरह, स्थायी निवास दर्जे को कनाडा में स्थायी निवासी वीजा और यूएसए में अप्रवासन वीजा कहा जाता है। इनमें से किसी के लिए आवेदन करने से पहले, सभी मांगों/अपेक्षाओं और नियमों आदि के बारे में जानकारी के लिए आधिकारिक वेबसाइटों पर अवश्य जाना चाहिए।
आगे दो प्रकार के वीजा के बीच सभी तुलनात्मक गुणों का ब्योरा दिया गया है।
1. कामकाज की गुंजाइश
अस्थायी वर्क परमिट और वीजाः यह परमिट प्रायोजक की तरफ से प्राप्त किया जाता है और इसलिए कामकाज में मनमाफिक बदलाव के लिए कोई गुंजाइश नहीं होती है। इसमें यह आशंका रहती है कि लोग मोलभाव कर सकने की स्थिति में ही न रहें और आगे कहीं उनका दुरुपयोग न हो जाए। स्थायी निवास वीजाः स्थायी निवास (परमानेंट रेसिडेंसी) वीजा वाले व्यक्ति के पास नौकरियां बदलने के विकल्प के साथ-साथ आवश्यकता होने पर कामकाज का शहर चुनने की विशेष सुविधा होती है। कामकाज के अवसरों में संविदा आधारित कार्य और कर लाभ भी शामिल हैं।
2. काम छिन जाने या काम बदलने के मामले में
अस्थायी वर्क परमिट और वीजाः बर्खास्तगी और कंपनी के अंत के मामले में व्यक्ति के लिए कुछ तयशुदा दिनों के भीतर देश छोड़ देना जरूरी होगा। संयुक्त राज्य अमेरिका के मामले में, यदि पहले ही ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन कर दिया गया है, तो कोई व्यक्ति बिना रोजगार के भी देश में 60 दिनों तक रह सकता है, जब तक कि उसे कोई नया काम न मिल जाए।
स्थायी निवास वीजाः काम छिन जाने के मामले में समय अवधि की कोई बाध्यता नहीं है। किसी स्थायी निवास वीजा धारक के पास एक नई नौकरी तलाशने और बेरोजगारी बीमा भत्ता लेने के अतिरिक्त लाभ होते हैं।
3. उद्यम संबंधी विकास की गुंजाइश
अस्थायी वर्क परमिट और वीजाः इसके तहत, कोई भी अस्थायी निवास वाले देश में न तो व्यवसाय शुरू कर सकता है, न उसका विस्तार कर सकता है। स्थायी निवास वीजाः स्थायी निवास वीजा धारक संबंधित मंत्रालय से अनुमति मिलने के बाद एक व्यावसायिक उपक्रम की संकल्पना, निवेश और शुरुआत कर सकते हैं।
4. परिवार के सदस्यों को लाभ
अस्थायी वर्क परमिट और वीजाः पति/पत्नी के लिए सीधे कोई प्रायोजन (स्पॉन्सरशिप) नहीं होती है। दोनों को अपने-अपने लिए रोजगार और प्रायोजन तलाशने और पाने की दरकार होती है। स्थायी निवास वीजाः जीवनसाथी भी काम करना चाहे, तो उसके लिए अलग से किसी परमिट या अनुज्ञा की आवश्यकता नहीं होती है। यह कनाडा के मामले में सच है।
5. नागरिकता का प्रश्न
अस्थायी वर्क परमिट और वीजाः संयुक्त राज्य अमेरिका के मामले में, अगर एच-1 बी वीजा पर 6 साल की सीमा के भीतर ग्रीन कार्ड को मंजूरी नहीं मिलती है, तो स्वदेश लौटना अनिवार्य हो जाता है। स्थायी निवास वीजाः नए अप्रवासियों और उनके परिवारों को देश में आने पर बिना किसी परेशानी के स्थायी निवास वीजा प्राप्त होता है। यह विशेष रूप से कनाडा में पहुंचने पर प्रचलित है।
6. स्पॉन्सरशिप का विस्तार
अस्थायी वर्क परमिट और वीजाः स्पॉन्सरशिप का विस्तार केवल जीवनसाथी और सीधे आश्रित बच्चों तक ही सीमित है। परिवार के अन्य सदस्य प्रायोजन की सुविधा नहीं ले सकते हैं। स्थायी निवास वीजाः इसके धारकों को जीवनसाथी और बच्चों के अलावा परिवार के अन्य सदस्यों को प्रायोजित किए जाने की सुविधा मिलती है, जिनमें माता-पिता और सगे भाई-बहन शामिल हैं।
7. व्यवहार्यता
अस्थायी वर्क परमिट और वीजाः ग्रीन कार्ड और फिर आगे नागरिकता प्राप्त करने के लिए यह एक लंबा तरीका है।
स्थायी निवास वीजाः कनाडा में तीन साल तक रहने के बाद स्थायी निवासी नागरिकता के लिए आवेदन करने के पात्र हो जाते हैं।
8. यात्रा
अस्थायी वर्क परमिट और वीजाः वर्क परमिट में अक्सर उस देश विशेष के भीतर और देश के बाहर यात्रा के लिए नवीकरण कराए जाने के सख्य नियम और बंधन होते हैं। स्थायी निवास वीजाः स्थायी निवास वीजा धारकों के लिए, स्थायी निवास वाले देश के भीतर और उससे बाहर संचार करने (आने-जाने) से जुड़ा कोई प्रतिबंध नहीं होता है।
भावी अप्रवासियों के लिए वर्क परमिट से होते हुए स्थायी निवास के लिए स्टुडेंट वीजा की राह पकड़ना आदर्श माना जाता है। कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश उपयुक्त पाठ्यक्रमों में शिक्षा पूरी करने के बाद वर्क परमिट और फिर उचित समय पर स्थायी निवास वीजा और अंततः नागरिकता के लिए आवेदन करने के रास्ते देते हैं।
ऊपर लिखी बातों की समग्र पड़ताल के बाद यह नतीजा निकाला जा सकता है कि अस्थायी वर्क परमिट की तुलना में स्थायी निवासी वीजा के लिए आवेदन करना ज्यादा उचित और समय बचाने वाला है।
by Mr. Ajay Sharma, President of Abhinav Outsourcings Pvt. Ltd.