नई दिल्ली। राज्यसभा ने मध्यस्थता एवं सुलह (संशोधन) विधेयक 2021 को आज विपक्ष के भारी हंगामे के बीच बेहद संक्षिप्त चर्चा के बाद पारित कर दिया।
लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है जिससे बुधवार को इस पर संसद की मुहर लग गयी। यह विधेयक मध्यस्थता एवं सुलह (संशोधन) अध्यादेश का स्थान लेगा। विधेयक पारित होने के बाद विपक्षी सदस्यों के हंगामे को देखते हुए उपसभापति हरिवंश ने सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी।
विपक्ष ने नये कृषि कानूनों तथा किसानों के मुद्दे पर नियम 267 के तहत स्थगन प्रस्ताव देकर चर्चा कराने की मांग की थी लेकिन सभापति एम वेंकैया नायडू ने इसे अस्वीकार कर दिया था जिसके कारण विपक्षी सदस्यों ने सदन में जोरदार हंगामा किया । इसके चलते सदन की कार्यवाही पहले बारह बजे तक और फिर दो बजे तक स्थगित करनी पड़ी थी।
दो बजे कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर जब हरिवंश ने विधेयक पर चर्चा के लिए भाजपा के महेश पौद्दार का नाम पुकारा तो विपक्षी सदस्य एक बार फिर किसानों के मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हुए नारेबाजी करने लगे। उप सभापति ने इसे नजरंदाज कर हंगामे के बीच ही विधेयक पर संक्षिप्त चर्चा करायी जिसमें विपक्ष के सदस्यों ने हिस्सा नहीं लिया।
विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विधेयक पर हुई बेहद संक्षित चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि मोदी सरकार देश के प्राकृतिक तथा अन्य संसाधनों की लूट किसी कीमत पर नहीं होने देगी और इस बात की बिल्कुल इजाजत नहीं देगी कि कुछ व्यापारी व्यवस्था की खामियों का फायदा उठाकर देश के करदाताओं के पैसे को अवार्ड यानी पंचाट के माध्यम से लूटते रहें।
उन्होंने कहा कि इस पर रोक लगाने के लिए इस विधेयक में समूचित इंतजाम किये गये हैं और सरकार भ्रष्टाचार को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेगी। प्रस्तावित कानून की धारा 26 में यह स्पष्ट प्रावधान किया गया है कि यदि कोई भी अवार्ड नीति और कानून के खिलाफ है तो उसे निरस्त कर दिया जायेगा।
उनके जवाब के दौरान हल्ला कर रहे कांग्रेस के सदस्यों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि जब भी भ्रष्टाचार के खिलाफ कानून बनता है तो इन्हें बहुत परेशानी होती है।
प्रसाद ने कहा कि उनकी सरकार देश को अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता के बड़े केन्द्र के रूप में स्थापित करने में जुटी है।
इस विधेयक में मध्यस्थता एवं सुलह कानून 1966 में संशोधन किया गया है।
उनके जवाब के बाद उप सभापति ने विपक्षी सदस्यों के हंगामे को देखते हुए सदन की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी।