सबगुरु न्यूज-सिरोही। सिरोही में नेशनल हाइवे संख्या 62 की टनल पर शुक्रवार को हुए हादसे में आरोपित बनाये गए L&T के अधिकारियों और कार्मिकों की अग्रिम जमानत अर्जी पर न्यायालय में सुनवाई हो गई।
इस पर फैसला आने बाकी है, लेकिन न्यायालय के सामने एलएंडटी की ओर से जो दलील पेश की गई उनके अनुसार तो इस मार्ग के उथमण टोल नाके पर फोर लेन के साथ जो टनल का टोल वसूला जा रहा है वो वसूला नहीं जाना चाहिए। वैसे इस दलील का पीड़ितों की ओर से पेश हुए अधिवक्ता मानसिंह देवड़ा ने अकाट्य दलील रखी।
-ये दलील रखी एलएंडटी की तरफ से
एलएंडटी के वकील ने न्यायालय को बताया कि ये हादसा एक्ट ऑफ गॉड है। इस पर पीड़ितों की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता मानसिंह देवड़ा ने दलील रखी कि ये एक्ट ऑफ गॉड है तो टनल भी एक्ट ऑफ गॉड है। मानसिंह देवड़ा ने उपहार सिनेमा अग्निकांड का रेफरेंस पेश करते हुए कहा कि उस प्रकरण में भी हादसा हुआ था। उसे सुप्रीम कोर्ट तक ने एक्ट ऑफ गॉड नहीं मानते हुए लापरवाही जनित कांड माना।
उन्होंने टनल के जो फ़ोटो L&T की ओर से पेश किए गए उसे रिकॉर्ड में लेने का अनुरोध न्यायालय से किया। इस फोटो में टनल पर सूचना बोर्ड लगा हुआ नहीं दिख रहा था। उनके साथ अधिवक्ता भंवरसिंह देवड़ा पीड़ितों की तरफ से भी पेश हुए थे।
-इसलिए होना चाहिए टनल टोल फ्री
दोनो पक्षो की बहस से ये बात निकल कर आती बाहर दिखी कि यदि एलएंडटी टनल हादसे को एक्ट ऑफ गॉड मानती है तो फिर टनल भी एक्ट ऑफ गॉड है। यानी कि ये भी प्रकृति जन्य है। जब ये प्रकृति जन्य है तो फिर एलएंडटी को तो इसका टोल वसूल करने का अधिकार नहीं रहता। खुद एलएंडटी ये दलील दी रही है तो सवाल ये उठता है कि टनल पर 70 करोड़ रोये खर्च करने की जो लागत वो बहनचलकों से टोल के रूप में वसूल रही वो राशि कहाँ खर्च हुई।