नई दिल्ली। भारतीय पैरालंपिक समिति (पीसीआई) ने महिला तैराकों का वीडियो बनाने के आरोप में अर्जुन अवार्ड विजेता और पैरालंपिक तैराक तथा कोच प्रशांत करमाकर को तीन साल के लिए निलंबित कर दिया है। प्रशांत पर पिछले साल जयपुर में 16वीं राष्ट्रीय तैराकी चैंपियनशिप के दौरान महिला तैराकों का वीडियो बनाने और मारपीट करने का आरोप है।
अभिवावकों की शिकायत के बाद पीसीआई ने यह कार्रवाई की है। प्रशांत कोलकाता के रहने वाले हैं। उन्होंने अर्जुन अवॉर्ड के अलावा ध्यानचंद खेल पुरस्कार, भीम अवॉर्ड और कोलकाता श्री अवॉर्ड भी हासिल किये हैं। प्रशांत के नाम 2006, 2010 और 2014 एशियाई खेलों के पदक हैं। इसके अलावा वह कोच भी रह चुके हैं।
2009 और 2011 में वह स्वीमर ऑफ द ईयर पुरस्कार भी हासिल कर चुके हैं। वह विश्व तैराकी में भाग लेने वाले भारत के पहले पैरा तैराक थे। राष्ट्रीय पैरा तैराकी चैंपियनशिप जयपुर में पिछले साल 31 मार्च से तीन अप्रेल तक हुई थी।
पीसीआई ने अपनी जांच में पाया गया कि प्रशांत ने अपने सहयोगी को महिला तैराकों का वीडियो बनाने को कहा था। उसने वीडियो बनाना शुरु कर दिया। इस पर तैराकों के अभिभावकों का ध्यान गया और उन्होंने इसकी शिकायत की। फिर जब उस व्यक्ति से पूछा गया तो उसने कहा कि वह प्रशांत के कहने पर वीडियो बना रहा था।
पीसीआई ने बताया कि प्रशांत के खिलाफ कार्रवार्ई अभिभावकों की लिखित शिकायत के बाद की गई है। इस अर्जुन पुरस्कार विजेता तैराक को आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी पाया गया है। पीसीआई ने बताया कि उन्होंने अपने एक साथी को कैमरा देकर चैंपियनशिप के दौरान महिला तैराकों की वीडियो फिल्म बनाने को कहा था।
महिला तैराकों के माता-पिता ने भी इस पर आपत्ति जताई थी। जब पैरा स्वीमिंग के अध्यक्ष डॉ. वीके डबास ने वीडियो फिल्म बना रहे व्यक्ति से पूछताछ की तो उसने कहा कि कैमरा उसे प्रशांत ने दिया था। पीसीआई ने बताया कि उस व्यक्ति को तो रोक दिया गया, लेकिन फिर यही शिकायत मिली और इस बार प्रशांत खुद ट्रॉयपाड पर कैमरा रखकर महिला तैराकों की वीडियो बना रहे थे।
जब प्रशांत कर्माकर से वीडियो नष्ट करने को कहा गया तो उन्होंने ना केवल ऐसा करने से मना कर दिया, बल्कि यह भी कहा कि उनके आदमी को वीडियो बनाने से क्यों रोका क्यो गया। उन्होंने वीडियो नष्ट करने से भी इनकार कर दिया।
पीसीआई ने पुलिस बुलाई जिसने उन्हें हिरासत में ले लिया। प्रशांत के वीडियो और फोटो नष्ट करने के लिए सहमत होने के बाद उन्हें छोड़ा गया।