नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ आगजनी और तोड़फोड़ करने वालों की कड़ी आलोचना के एक दिन बाद सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने भी कहा है कि आगजनी और हिंसा करने वाली भीड़ का नेतृत्व करने वाले नेता नहीं होते।
जनरल रावत के इस बयान से विवाद खड़ा हो गया क्योंकि कुछ राजनीतिक दलों ने कहा है कि सेना प्रमुख के पद पर आसीन सैन्य अधिकारी को राजनीतिक टिप्पणी करने से बचना चाहिए।
सेना प्रमुख ने गुरूवार को एक कार्यक्रम में नागरिकता संशोधन अधिनियम का विरोध करने वालों की परोक्ष निंदा करते हुए कहा कि नेतृत्व का मतलब अगुवाई करना है जब आप आगे बढते हैं तो सब आपका अनुसरण करते हैं लेकिन नेता वे होते हैं जो लोगों को सही दिशा में ले जाते हैं।
वे नेता नहीं होते जो लोगों को अनुचित दिशा में ले जाते हैं जैसा कि विश्वविद्यालयों और कालेजों में छात्रों को शहरों तथा कस्बों में आगजनी तथा हिंसक भीड़ की अगुवाई करते देखा जा रहा है, यह नेतृत्व नहीं है।
मोदी ने बुधवार को लखनऊ में कहा था कि कुछ लोगों ने जिस तरह से विरोध प्रदर्शन के नाम पर हिंसा की और सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाया। वे लोग एक बार खुद से पूछें क्या उनका रास्ता सही था। हिंसा में जिनकी मृत्यु हुई, जो पुलिस वाले जख्मी हुए, उनके और उनके परिवार के प्रति सोचें कि उन पर क्या बीतती होगी। इसलिए उनका आग्रह है कि लोगबाग झूठी अफवाहों में न आएं।
उल्लेखनीय है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर देश भर में काफी हिंसा हुई है। विशेष तौर पर उत्तर प्रदेश में आगजनी की घटनाओं के साथ साथ कई लोगों की मौत भी हुई है। दिल्ली में भी आगजनी और हिंसा की घटनाएं हुई हैं।
कांग्रेस नेता दिग्वजिय सिंह ने जनरल रावत के बयान पर टि्वट करते हुए कहा है कि वह उनकी बात से सहमत हैं लेकिन यह बात भी उतनी ही सही है कि अपने समर्थकों को सांप्रदायिक हिंसा फैलाने की अनुमति देने वाले भी नेता नहीं होते। एआईएमआईएम के नेता असद्दुदीन ओवैसी ने कहा है कि अपने पद की सीमाओं को जानना भी नेतृत्व का ही हिस्सा होता है।