नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता और मोदी सरकार के आर्थिक सुधारों के सूत्रधार पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का पार्थिव शरीर आज यहां पंचतत्व में विलीन हो गया।
राजधानी में यमुना के तट पर निगम बोध घाट पर राजकीय सम्मान के साथ करीब सवा तीन बजे उनका अंतिम संस्कार किया गया। जेटली की चिता को उनके पुत्र रोहन ने जैसे ही मुखाग्नि दी, दिल्ली पुलिस की एक टुकड़ी ने उन्हें सशस्त्र सलामी दी। इसी समय पर आसमान में छाये बादल बरस पड़े। उनकी पत्नी संगीता, पुत्री सोनाली एवं अन्य परिजनों एवं समर्थकों की आंखें भी नम हो गईं।
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, भारतीय जनता पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा, भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख और केन्द्रीय मंत्री राम विलास पासवान, केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल, स्मृति ईरानी, धर्मेन्द्र प्रधान, डॉ. जितेन्द्र सिंह, अनुराग ठाकुर, साध्वी निरंजन ज्योति, प्रह्लाद सिंह पटेल, पार्टी के उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, भाजपा के महासचिव भूपेन्द्र यादव, राम माधव, अनिल जैन, पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी तथा अन्य नेता उपस्थित थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विदेश यात्रा पर होने के कारण उपस्थित नहीं हो सके।
अंतिम संस्कार से पहले ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर तथा कई अन्य नेता भी निगम बोध घाट पहुंच गए थे। योग गुरु स्वामी रामदेव और भूटान सरकार के प्रतिनिधि भी अंतिम संस्कार के दौरान उपस्थित थे। इस मौके पर निगम बोध घाट पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी।
अंतिम संस्कार के लिए निगम बोध घाट लाने के पहले जेटली के पार्थिव शरीर को फूलों से सजे सेना के वाहन से भाजपा मुख्यालय लाया गया और कुछ घंटे पार्टी जनों के अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, कार्यकारी अध्यक्ष जे पी नड्डा, मंत्री पीयूष गोयल, जेटली की पत्नी और पुत्री तथा अन्य नेता उपस्थित थे। भाजपा मुख्यालय का ध्वज आधा झुका दिया गया था।
इससे पहले कैलाश कालोनी में उनके आवास पर आज सुबह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, पूर्व मंत्री प्रफुल्ल पटेल, दूतावासों के राजनयिकों तथा कई अन्य नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। जेटली को श्रद्धांजलि देने के लिए कल से ही लोगों का तांता लगा रहा।
जेटली का शनिवार को यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में निधन हो गया था। वह 66 वर्ष के थे। उनके परिवार में पत्नी, एक पुत्र और एक पुत्री हैं। जेटली ने 12 बजकर सात मिनट पर अंतिम श्वास ली। जेटली को बेचैनी और सांस लेने में तकलीफ होने के बाद नौ अगस्त को एम्स में भर्ती कराया गया था।
जेटली के निधन से देश भर में शोक की लहर दौड़ गई। कोविंद, उपराष्ट्रपति, मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केन्द्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।
बहरीन की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी को जेटली के निधन का समाचार मिला। अपने शोक संदेश में मोदी ने कहा कि जेटली के निधन से उन्होंने एक महत्वपूर्ण मित्र खो दिया है। बाद में मोदी प्रवासी भारतीयों के एक कार्यक्रम में जेटली के निधन और अपनी मजबूरी का इजहार करते हुए भावुक हो गए। मोदी ने जेटली की पत्नी और पुत्र से टेलीफोन पर बात भी की।
भाजपा प्रमुख शाह ने अपने शाेक संदेश में पूर्व वित्त मंत्री को भारत को सबसे तेजगति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनाने वाला नेता बताया और कहा कि जेटली काले धन पर कार्रवाई करने वाले तथा, गरीब तबकों के लिए कल्याणकारी कार्यक्रमों तथा विमुद्रीकरण एवं वस्तु एवं सेवा कर जैसे सुधारों को ज़मीन पर उतारने वाले एक सक्षम प्रशासक एवं संवेदनशील राजनेता थे।
जेटली का पिछले साल एम्स में ही गुर्दा प्रत्यारोपण किया गया था। उसके कुछ माह बाद वह पुन: राजनीति में सक्रिय हो गए थे। इसी वर्ष में उन्हें सॉफ्ट टिश्यू कैंसर होने का पता चला था और वह जनवरी में उपचार के लिए अमरीका गए थे।
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान वित्त, रक्षा, कारपोरेट मामले एवं सूचना प्रसारण जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय संभालने वाले जेटली ने लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा के पुन: सत्ता में आने पर प्रधानमंत्री से अनुरोध किया था कि उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया जाए ताकि वह उपचार करा सकें और स्वस्थ हो सकें।
उन्होंने 1974 में राजनीति का सफर शुरू किया था। वह आपातकाल के दौरान जेल भी गए थे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान उन्हें 13 अक्टूबर 1999 को सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नियुक्त किया गया। उन्हें विनिवेश राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भी नियुक्त किया गया। बाद में उन्हें कानून, न्याय और कंपनी मामलों के मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी मिला था।
जेटली को वर्ष 2000 में कैबिनेट मंत्री के रूप में पदोन्नत किया गया था और कानून, न्याय और कंपनी मामलों एवं जहाजरानी मंत्री बनाया गया था। भूतल परिवहन मंत्रालय के विभाजन के बाद वह नौवहन मंत्री भी बने थे।
उन्हें तीन जून 2009 को राज्यसभा में विपक्ष के नेता के रूप में चुना गया था। सोलह जून 2009 को उन्होंने अपनी पार्टी में एक व्यक्ति एक पद सिद्धांत के तहत भाजपा के महामंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। वह पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति के सदस्य भी रहे थे।
वर्ष 2014 के आम चुनाव में वह अमृतसर लोकसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार थे लेकिन चुनाव हार गए थे। पर उनकी भूमिका के महत्व को समझते हुए मोदी ने उन्हें सरकार में अहम स्थान दिया। मोदी सरकार के दौरान उन्हें वित्त मंत्री बनाया गया। वह कारपोरेट मामलोें के साथ रक्षा मंत्री भी नियुक्त किए गए थे।