नई दिल्ली। केंद्र सरकार के कृषि से जुड़े तीन कानून के विरोध में आंदोलनरत किसानों से सोमवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मुलाकात कर कहा कि उनकी सरकार किसानों की सेवादार है।
तीनों कानूनों के विरोध में किसान पिछले 12 दिन से दिल्ली में जमे हुए हैं और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर से कई दौर की बातचीत के बावजूद कोई समाधान फिलहाल नहीं निकल पाया है। मंगलवार को किसानों के समर्थन में भारत बंद का आह्वान किया गया है और विभिन्न राजनीतिक दलों और कई श्रमिक संगठनों ने बंद को समर्थन देने का ऐलान भी किया है। आम आदमी पार्टी (आप) ने भी बंद का समर्थन किया है। किसान दिल्ली की सीमाओं पर धरने पर बैठे हैं और सरकार से कृषि कानून को खत्म करने की मांग पर अड़े हुए हैं।
केजरीवाल आज अपने मंत्रिमंडल के साथ हरियाणा-दिल्ली सीमा सिंघु बॉर्डर पर किसानों से मिलने पहुंचे। उन्होंने किसानों से मुलाकात करने के साथ ही वहां मुहैया कराई जा रही सुविधाओं का जायजा लिया और कहा कि उनकी सरकार किसानों की सेवादार है।
मुख्यमंत्री ने मीडिया से बातचीत में किसानों की मांगों का समर्थन करते हुए कहा कि मेरी सरकार किसानों की सेवादार है। किसानों का मुद्दा और उनकी मांगें जायज हैं। मैं और मेरी पार्टी उनके साथ खड़े हैं। किसानों का आंदोलन शुरू होने के वक्त दिल्ली पुलिस ने हमसे नौ स्टेडियम को जेल में बदलने की अनुमति मांगी थी। मेरे ऊपर दबाव बनाया था लेकिन मैंने अनुमति नहीं दी। तब से आप के सभी विधायक, कार्यकर्ता सेवादार बन कर किसानों की सेवा कर रहे है। मैं खुद भी सेवादार बन कर यहाँ आया हूं।
सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच शनिवार को पांचवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही थी। केंद्र ने गतिरोध समाप्त करने के लिए 09 दिसंबर को फिर बैठक बुलाई है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी, द्रविड़ मुनेत्र कषगम के प्रमुख एमके स्टालिन तथा गुपकार घोषणापत्र गठबंधन के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला समेत प्रमुख विपक्षी नेताओं ने रविवार को एक संयुक्त बयान जारी कर किसान संगठनों द्वारा बुलाए गए ‘भारत बंद’ का समर्थन किया और केंद्र पर प्रदर्शनकारियों की वैध मांगों को मानने के लिए दबाव बनाया हालांकि राष्ट्रीय सेवक संघ से जुड़े भारतीय किसान संघ ने बंद का समर्थन नहीं किया है। संघ ने कहा है कि जब दोनों पक्ष 9 दिसंबर को फिर से वार्ता करने के लिए सहमत हुए हैं तो फिर 8 दिसंबर को भारत बंद की घोषणा का कोई औचित्य नहीं है।
संघ ने बयान जारी कर कहा है अभी तक किसान आंदोलन अनुशासित चला है, किंतु ताजा घटनाक्रमों को ध्यान में रखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि विदेशी ताकतें, राष्ट्रद्रोही तत्व और कुछ राजनीतिक दलों का प्रयास किसान आंदोलन को अराजकता की तरफ मोड़ देने में प्रयासरत है। बंद को 11 राजनीतिक दलों और 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का समर्थन है।