जोधपुर। आजाद भारत के जेल इतिहास में राजस्थान का जोधपुर केंद्रीय कारागार एक मात्र ऐसा जेल होगा जिसके भीतर तीसरी बार अदालत लगेगी। राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश पर बुधवार को जोधपुर सेंट्रल जेल में अदालत लगाई जा रही है जहां बहुचर्चित यौन उत्पीडन के आरोपी आसाराम के प्रकरण का फैसला सुनाया जाएगा।
राजस्थान के जेल इतिहास में भी यह तीसरा मौका है जब जोधपुर के कारागार में अदालत लगाई जा रही है। इसी कारागार में 31 साल पहले टाडा की विशेष अदालत लगाई गई थी और एक साल पूर्व आरोपी आसाराम के मामले में भी अदालत लगाई गई थी।
स्वतंत्र भारत में चंद ही ऐसे मामले है जिनका फैसला जेल में अदालत लगाकर सुनाए गए हैं। इनमें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारे बेअंत सिंह और सतवंत सिंह, मुम्बई में हुए आतंकी हमले के आरोपी पाकिस्तान अजमल आमिर कसाब और हरियाणा के डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम के प्रकरण शामिल है।
यह भी एक संयोग है कि जोधपुर के केंद्रीय कारागार में यौन उत्पीडन के आरोपी आसाराम का फैसला सुनाने के लिए लगायी जा रही अदालत भी उसी हाॅल में है जहां 31 साल पूर्व विशेेष टाडा अदालत ने अकाली नेता गुरचरण सिंह टोहरा के मामले में फैसला सुनाया था।
जोधपुर केंद्रीय कारागार में लग रही अदालत एससीएसटी की विशेष अदालत होगी जहां पीठासीन अधिकारी मधुसुदन शर्मा 25 अप्रेल को यौन उत्पीडन के आरोपी आसाराम और उसके चार अन्य साधकों के भविष्य का फैसला सुनाएंगे।
राजस्थान पुलिस ने हरियाणा के डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के फैसले के बाद पंचकुला में हुई हिंसा और बिगडी कानून व्यवस्था के मद्देनजर यौन उत्पीडन के आरोप में जोधपुर में केंद्रीय कारागार में बंद आसाराम के फैसले के दौरान शहर में कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए जेल में ही निर्णय सुनाने के लिए न्यायालय में गुहार लगाई थी।
पुलिस ने न्यायालय में गुहार लगाई थी कि आसाराम के काफी संख्या में समर्थक है और पेशी के दौरान भी न्यायालय परिसर में आते रहते हैं जिसके कारण कानून व्यवस्था बनाने में दिक्कत होती है।
पुलिस ने यह भी कहा कि जिस तरह पंचकुला में राम रहीम के समर्थकों द्वारा कानून व्यवस्था को बिगाडा गया था उसी तरह का अंदेशा यहां भी हो सकता है। पुलिस की इस गुहार को न्यायालय ने स्वीकार करते हुए गत 17 अप्रेल को जेल में ही अदालत लगा कर फैसला सुनाने के आदेश दिए थे।
जेल में अदालत लगाकर फैसला सुनाए जाने के मामले में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी के हत्यारों बेअंत सिंह और सतवंत सिंह को दिल्ली के तिहाड जेल में सुनाया गया था।
जेल में ही अदालत लगाकर फैसला सुनाने का दूसरा मामला मुम्बई में आतंकी हमला करने वाले पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल आमिर कसाब है जिसे मुम्बई के आर्थर रोड जेल में अदालत लगाकर मौत की सजा दी गई थी। इसके अलावा हाल ही में हरियाणा के डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम के लिए हरियाणा के सुनारिया जेल में अदालत लगाई गई थी।
जोधपुर केंद्रीय कारागार के डीआईजी विक्रम सिंह कर्णावट ने बताया कि जोधपुर में 1985 मे विशेष टाडा कोर्ट लगाई गई थी। यह अदालत 1988 तक चली और उस समय 365 खालिस्तान समर्थक यहां थे।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान में जोधपुर की जेल एकमात्र ऐसी जेल है जहां हथियार बंद आरएसी के जवान पहरा देते हैं। सिंह ने बताया कि जेल के भीतर इनको हथियार रखने की इजाजत नहीं है।