जयपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनिया ने शुक्रवार को राजस्थान विधानसभा में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार का दलित विरोधी चेहरा सामने आया गया। केन्द्र सरकार ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति के आरक्षण को 1.5 माह पूर्व लोकसभा व राज्यसभा में पारित कर 10 वर्षों के लिए आगे बढ़ाया है।
इस विधेयक को 18 राज्यों ने लागू कर दिया है। यह विधेयक 25 जनवरी से पहले ही लागू हो जाना चाहिए था, किन्तु कुम्भकरण की नींद से भी अधिक सोई प्रदेश की कांग्रेस सरकार इस विधेयक पर गंभीर नहीं दिखी और एससी/एसटी विधेयक प्रदेश में अभी तक पारित नहीं हुआ।
प्रदेश में जब से कांग्रेस सरकार आई, तब से दलितों पर अत्याचारों का ग्राफ दिन प्रति दिन बढ़ता गया और आज देश में मध्यप्रदेश के बाद राजस्थान दलितों पर अत्याचार पर दूसरे नम्बर पर है, अपनी इसी गलती को ढ़कने के लिये आनन-फानन में विधानसभा सत्र बुलाया जाना और बजट सत्र में विधायकों को प्रश्नों की तैयारी के लिए समय नहीं देना गलत है।
आमतौर पर 21 दिन के नोटिस के बाद बजट सत्र को बुलाया जाता है, इस तरीके से जल्दबाजी में सत्र को बुलाया जाना सरकार की नियत और निष्ठा पर सवाल खड़े करता है। आज इस सरकार का अलोकतांत्रिक चेहरा उजागर हो चुका है।
डाॅ. पूनिया ने कहा कि पंचायत चुनावों का समय पर ना होना, सरकार की अकर्मण्यता को दर्शाता है। यह सरकार शासन करने में पूर्ण रूप से विफल हो गई है। पश्चिमी राजस्थान में टिड्डी दल के हमले से किसान बदहाल एवं पूर्वी राजस्थान के किसान की फसल पाले की चपेट से चैपट हो गई है, किन्तु गहलोत सरकार किसानों के प्रति मौन धारण किए हुए हैं, इस त्रासदी पर इनका बिल्कुल ध्यान नहीं है। प्रदेश की कांग्रेस सरकार 13 महीनों में ही घुटने टेक चुकी है। इन्होंने मान लिया है कि प्रदेश की कानून व्यवस्था को हम नहीं संभाल सकते। किसानों की उन्नति के लिए हम कुछ नहीं कर सकते।