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सतीश पूनियां ने जनता के नाम लिखा खत, गहलोत पर बरसे - Sabguru News
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सतीश पूनियां ने जनता के नाम लिखा खत, गहलोत पर बरसे

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सतीश पूनियां ने जनता के नाम लिखा खत, गहलोत पर बरसे

जयपुुर। राजस्थान में सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के भीतर के उपजे असंतोष और पक्ष विपक्ष के नेताओं के बीच जुुबानी जंग परवान चढ चुकी है। एक तरफ जहां समूचे घटनाक्रम को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बीजेपी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं वहीं बीजेपी यह कह कर पल्ला झाड रही है कि कांग्रेस के भीतर चल रहे झगडे से उसका कोई वास्ता नहीं। आडियो टेप मामले के सामने आने के बाद भाजपा भी गहलोत सरकार पर हमलावर हो रही है।

हाल ही में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर प्रदेश में भाजपा की ओर से उनकी चुनी सरकार को गिराने की कोशिशों का हवाला देते हुए दखल करने की गुजारिश की है।

अब इसके जवाब में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने जनता के नाम लिखे संदेश में गहलोत पर निशाना साधते हुए उन्हें कहा कि विगत कई दिनों से प्रदेश में चल रही राजनीतिक अस्थिरता और अराजकता के लिए सत्तधारी कांग्रेस पार्टी स्वयं दोषी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तथा उनकी पार्टी के जिम्मेवार लोग बिना वजह भारतीय जनता पार्टी को आरोपित कर रहे हैं। स्वयं की लडाई में सत्ता खोने के भय ने मुख्यमंत्री गहलोत और उनकी पूरी पार्टी को विचलित कर दिया है।

प्रधानमंत्री मोदी को लिखे गए गहलोत के पत्र और उसकी भाषा से यह स्पष्ट हो गया है कि उन्होंने अपने दल के विधायकों का विश्वास खो दिया है और सरकार अल्पमत में आ गई है। एक तरफ जब प्रदेश में कोरोना मामलों की संख्या लगातार बढ रही है। लोग वैश्विक महामारी की चपेट में आ रहे है। अपराध बढ रहे हैं। पश्चिमी राजस्थान में टिड्डियों का हमला हो रहा है विकास के कार्य ठप पडे हैं और सरकार संवैधानिक संकट का बहाना बनाकर पांच सितारा होटल रूपी बाड़े में बंद है।

जनता देख रही है कि किस तरीके से विधायक और मंत्री होटल में मौज मस्ती कर रहे हैं। कांग्रेस के विधायकों और मंत्रियों को राजस्थान की जनता ढूंढ रही हैं। इस कोरोना काल में जब भाजपा राहत और सहायता पहुंचा रही थी। ऐसे समय में अशोक गहलोत लगातार अपमानजनक बयानों में व्यस्त रहे। वे राजनैतिक नैतिकता की आड़ में भाजपा के बारे में झूठ फैला रहे हैं।

मुख्यमंत्री गहलोत बार-बार राजनैतिक नैतिकता और लोकतंत्र की दुहाई देते हैं। भारतीय जनता पार्टी के बारे में प्रायोजित रूप से हॉर्स ट्रेडिंग का ना केवल आरोप लगाते है अपितु पार्टी और पार्टी के नेताओं को षडयंत्र पूर्वक बदनाम करने की साजिश भी रचते हैं। और ये लगातार पिछले दिनों की घटनाओं से साबित हो गया हैं। जिस तरह से उन्होंने बहुजन समाज पार्टी का अलोकतांत्रिक तरीके से विलय किया और निर्दलीय एवं छोटे दलों के विधायकों को मैनेज किया वो किसी से छिपा नहीं है।

राजस्थान की राजनीति में सब जानते हैं कि अपने महत्वकांक्षाओं के चलते मुख्यमंत्री गहलोत ने किस तरीके से वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार किया और उन्हें हाशिये पर ला दिया, उसी तरीके से उन्होंने पार्टी में नए नेतृत्व को पनपने देने से रोकने के लिए सारी कोशिशे की। लोकतंत्र की बात करने वाले गहलोत भूल जाते हैं कि 1975 में देश में आपातकाल इन्हीं की पार्टी के शासनकाल में लगा तथा 91 बार देश में संविधान के अनुच्छेद 356 का दुरूपयोग करते हुए चुनी हुई सरकारों को अस्थिर किया गया।

सब जानते हैं कि किस प्रकार से देश में विभिन्न राज्यों के राजभवनों को कांग्रेस कार्यालयों में परिवर्तित किया गया। लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित जनादेश को जबरन अपवित्र गठजोड़ करने का ताजा उदाहरण महाराष्ट्र में देखा गया जहां इस अवसरवादी गठबंधन में कांग्रेस नेतृत्व भी शामिल था। इसी तरह 2018 में कर्नाटक में कांग्रेस की अगुवाई में तिगड़म और छल-कपट देखा गया, जबकि वहां जनादेश भाजपा के पक्ष में था, लेकिन कांग्रेस ने अपवित्र चाल चलते हुए अवसरवादी गठबंधन बनाकर जनादेश का अपमान किया।

1957 से लेकर 1990 तक अनेकों ऐसे उदाहरण है जब कांग्रेस पार्टी ने अनेकों प्रदेशों में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई क्षेत्रीय दलों की सरकारों को गिराने का षडयंत्र किया। ऐसे ही धारा 356 का दुरूपयोग करते हुए 91 बार विभिन्न राज्य सरकारों को अस्थिर करने का षडयंत्र भी कांग्रेस पार्टी के द्वारा ही किया गया।

देश के लोकतंत्र और संविधान के प्रति किए गए पापों की सजा आज कांग्रेस पार्टी भुगत रही है, किसी समय पूरे देश में राज करने वाली कांग्रेस पार्टी विचार और व्यवहार से पूरे देश में नकार दी गई और केवल चंद प्रदेशों में अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रही है। इसका कारण कांग्रेस पार्टी स्वयं है। अपने आंतरिक संकट को भारतीय जनता पार्टी पर आरोपित करके सहानुभति बटोरने का विफल प्रयास कर रही है।

कोरोना जैसी महामारी के दौरान जहां केन्द्र सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में राजस्थान को भरपूर मदद देने की कोशिश की वहीं मुख्यमंत्री गहलोत ऐसे संकट के समय में भी घटिया बयानबाजी से बाज नहीं आ रहे। प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र से यह स्पष्ट हो गया है कि गहलोत सरकार अल्पमत में है और अस्तित्व बचाने के लिए जूझ रही है।

मुख्यमंत्री गहलोत ने अपने ही दल के विधायकों का विश्वास खो दिया है और कुर्सी बचाने की अंतिम कोशिश कर रहे हैं, इसी कारण सरकार कांग्रेस के विधायक और मंत्री बंधक बने हुए हैं। मुख्यमंत्री ने अभी तक इस बात का जवाब नहीं दिया कि सरकार कितने दिन बाड़े में बंद रहेगी? इस संवैधानिक संकट का समाधान कब करेगी? बाहर आकर जनता की सेवा कब करेगी? मुख्यमंत्री गहलोत कुर्सी को बचाने, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री एवं भाजपा के खिलाफ तो बोलते हैं लेकिन भ्रष्टाचार, किसान कर्जा माफी, बिजली बिल एवं विकास कार्यों पर उनकी जुबान से शब्द नहीं निकलते। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।

भारतीय जनता पार्टी ने अपने जनप्रतिनिधियों और कार्यकर्ताओं को निर्देशित किया है कि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जागरूकता और सहायता के काम जारी रखे। जनता की समस्याओं के समाधान के लिए कोशिश करते रहे। मैं आप सबको विश्वास दिलाता हूं कि भारतीय जनता पार्टी इस संक्रमण काल में और संवैधानिक संकट के समय राजस्थान की जनता के साथ खडी है। जनता के हितों के लिए हमसे जितना हो सकेगा करेंगे।