इस्लामाबाद। अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी ने तालिबान के काबुल की ओर बढ़ते कदमों के बीच उनके देश छोड़ने के फैसले पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि उस समय तालिबान सत्ता के आसानी से हस्तांतरण को लेकर किसी समझौते के लिए तैयार नहीं था और ऐसे में उनके पास काबुल छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।
गनी में बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में 15 अगस्त 2021 को अचानक से उनके काबुल छोड़ने के फैसले पर अपनी सफाई देतेे हुए कहा कि तालिबान को राजधानी काबुल की ओर तेजी से बढ़ते हुए देख उनके एक सलाहकार ने उन्हें कुछ ही पलों में काबुल छोड़ने की सलाह दी। उन्होंने खुद पर बड़ी मात्रा में पैसा लेकर भागने के आरोपों का पूरी तरह से खंडन किया। गनी ने बीबीसी को बताया कि उस दिन सुबह तक उनका ऐसा कोई इरादा नहीं था कि वह दोपहर बाद देश छोड़कर चले जाएंगे।
इससे पहले इसी माह पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने गनी पर देश को मंझधार में छोड़कर भागने का आरोप लगाते हुए कहा कि गनी के इस तरह से भाग जाने से उनके सरकार के वार्ताकारों और पीस काउंसिल के चेयरमैन अब्दुल्ला अब्दुल्ला के तालिबान के साथ किसी तरह के समझौते पर पहुंचने का अवसर खत्म हो गया था। इस पर गनी ने कहा कि काबुल को विनाश से बचाने के लिए उन्होंने देश छोड़ने का फैसला किया था।