हेग। ईशनिंदा के आरोपों में मौत की सजा से पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट से हाल में बरी हुयी ईसाई महिला आसिया बीबी के वकील ने कहा है कि उन्हें मालूम नहीं है कि उनकी मुवक्किल कहा हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि इच्छा नहीं होने के बावजूद जीवन की रक्षा के लिए उन्हें देश छोड़कर नीदरलैंड भागना पड़ा है।
सैफुल मुलूक ने सोमवार को यहां संवाददाताओं से कहा है कि मेरी जान की खतरा को भांपते हुए संयुक्त राष्ट्र ने मुझे पाकिस्तान से बाहर निकाला। देश छोड़ने का हालांकि मेरा मन बिल्कुल नहीं था।
उन्होंने कहा कि मौत की सजा से आसिया बीबी को बरी करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पाकिस्तान में भड़की इस्लामिक हिंसा को देखते हुए मैंने इस्लामाबाद में संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों से संपर्क किया।
इसके बाद संयुक्त राष्ट्र और इस्लामाबाद स्थित यूरोपीय देशों के राजदूतों ने मुझे तीन दिन अपने पास रखा और मेरी सुरक्षा को देखते हुए उन्होंने मुझे एक विमान में बैठा दिया। देश छोड़ने की मेरी इच्छा नहीं थी लेकिन न्यायालय के फैसले से देश में शुरू हुए उग्र विरोध प्रदर्शनों से खतरा को देखते हुए मुझे देश छोड़ना पड़ा। मुझे अपने परिवार की सुरक्षा की भी चिंता थी।
एक सवाल पर उन्होंने कहा कि मुझे नहीं मालूम कि आसिया बीबी को जेल से बाहर निकाला गया है अथवा नहीं। मुझे यह भी नहीं मालूम कि वह दूसरे देश में शरण लेगीं या नहीं। बेहतर होगा आप लाेग संयुक्त राष्ट्र के लोगों से इस संबंध में पूछें। सुरक्षा करणों से आसिया के बारे में वे मुझे कुछ नहीं बता रहे हैं।
चरमपंथियों ने पाकिस्तानी अधिकारियों को चेतावनी दी है कि अगर आसिया बीबी को देश से बाहर भेजा गया तो वे इसके विरोध ‘युद्ध’ छोड़ेंगे। तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के साथ इस संबंध में समझौता होने के बाद आसिया बीबी को लेकर विरोध प्रदर्शन बंद हुए। इस समझौते का पश्चिमी देशों और मानवाधिकार संगठनों ने कड़ी निंदा की है।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 31 अक्टूबर को आसिया बीबी को ईशनिंदा के मामले में मिली मौत की सजा से बरी कर दिया था। इसके बाद खिलाफ चरमपंथी सड़कों पर उतर आए और आसिया बीबी को फांसी देने की मांग को लेकर उग्र प्रदर्शन शुरू हो गया था।