नई दिल्ली। राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनावों में सत्ताविरोधी रुझान की काट के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अलोकप्रिय विधायकों के टिकट काटने का रास्ता अख्तियार किया है।
पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि छत्तीसगढ़ की 90 विधानसभा सीटों में से 78 उम्मीदवार घोषित किए जा चुके है जबकि 14 विधायकों की जगह नए चेहरों को टिकट दिया गया है। पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा को 44 सीटों पर जीत मिली थी।
सूत्रों के अनुसार छत्तीसगढ़ में बाकी 12 सीटों में से तीन विधायकों के टिकट और काटे जाने की संभावना है। इस प्रकार से 44 विधायकों में से 17 के टिकट कटने का अर्थ है लगभग 40 प्रतिशत सीटों पर परिवर्तन।
सूत्रों के मुताबिक राजस्थान और मध्यप्रदेश में भी भाजपा इसी रास्ते को अख्तियार कर सकती है और इस रणनीति में कुछ मंत्री तक भी टिकट से महरूम हाे सकते हैं। एक सवाल पर उन्होंने कहा कि टिकट काटने के लिए कोई फार्मूला तय नहीं है।
पार्टी एक एक सीट का बारीकी से आकलन करती है और जहां भी बदलाव की जरूरत लगती है वहां विधायक या पुराने उम्मीदवार काे बदल कर नया चेहरा लाया जाएगा। राजस्थान और मध्यप्रदेश के लिए भाजपा ने अभी तक उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। आशा है कि इस सप्ताह के आखिर में पार्टी की केन्द्रीय चुनाव समिति की बैठक में दोनों राज्यों के उम्मीदवारों के नामों को अंतिम रूप दिया जाएगा।
सूत्रों का कहना है कि जिन विधायकों का टिकट काटा जाएगा उन्हें संगठन में समायोजित किया जा सकता है और जो विधायक विद्रोह करेंगे तो उसका प्रबंध भी किया जाएगा। उन्होंने स्वीकार किया कि संभव है कि कुछ लोग टिकट कटने से नाराज होकर पार्टी छोड़ दें, पर उनके जाने के साथ साथ नए लोग भाजपा में भी आएंगे।
चुनावों के पहले नेताओं के पार्टी बदलने के बारे में चर्चा किए जाने पर सूत्रों ने कहा कि चुनाव के पहले ही पार्टी बदलना ज्यादा अच्छा रहता है। इससे जनता के पास लोग नई वैचारिक पहचान एवं एजेंडे के साथ जाते हैं और जनता उनके बारे में सही निर्णय करती है।
सूत्रों के अनुसार राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़-तीनों राज्यों में भाजपा सरकार बनाएगी। उन्होंने हालांकि मध्यप्रदेश और राजस्थान में भाजपा की सीटें पहले से कम होने की बात अवश्य स्वीकार की। उन्होंने कहा कि पार्टी ने स्थानीय स्तर पर असंतोष का इलाज कर लिया है। भाजपा तीनों राज्यों के साथ साथ मिजोरम में भी सरकार बनाएगी जबकि तेलंगाना में अच्छा प्रदर्शन करेगी।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में कई सांसदों के टिकट बदले जाने की अटकलों के बारे में सूत्रों ने पत्ते नहीं खोले अलबत्ता यह दावा जरूर किया कि आम चुनावों में उत्तर प्रदेश में लोकसभा की सीटें कहीं से नहीं घटेंगी। सीटों की संख्या बढ़ने की पूरी संभावना है।