नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री एवं पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने उन मीडिया रिपोर्टाें काे ‘आधारहीन’ बताया जिसमें उनकी पार्टी की ओर से कांग्रेस की मदद से राज्य में नई सरकार के गठन के प्रयास की बात कही गई है।
मुफ्ती ने एक निजी टीवी चैनल से बातचीत के दौरान उनकी इस संबंध में कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी के साथ वार्ता को भी बिल्कुल गलत बताया। उन्होंने इंडिया टीवी के कार्यक्रम ‘आप की अदालत’ में कहा कि यदि ऐसा होता तो मुझे इस्तीफा क्यों देना चाहिए?
जब हमारी सरकार (भाजपा-पीडीपी गठबंधन) गिर गई, तो राज्यपाल ने मुझसे पूछा कि क्या मैं अन्य विकल्पों का पता लगाना चाहती हूं तब मैंने उनसे कहा कि मैं एक घंटे के भीतर अपना इस्तीफा भेज दूंगी।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि पीडीपी दो साल पहले कांग्रेस के साथ सरकार बना सकती थी। हमने एेसा नहीं किया, और हमने एक बड़े उद्देश्य, जैसा कि मेरे पिता ने कल्पना की थी, के लिए सरकार (भाजपा के साथ) का गठन किया।
मुफ्ती ने पीडीपी को तोड़कर सरकार बनाने के भाजपा के प्रयासों पर भी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने केंद्र को एकतरह की चेतावनी देते हुए कहा कि यदि दिल्ली हमारी पार्टी में हस्तक्षेप करती है और टूट जाती है, और सज्जाद गनी लोन या जो भी मुख्यमंत्री बनता है, तो यह भारतीय लोकतंत्र में कश्मीरियों के विश्वास को खत्म कर देगा। दिल्ली से किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप को गंभीरता से लिया जाएगा।
उन्होंने याद दिलाया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 2001 में घाटी में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने का वादा किया था, और इसके परिणामस्वरूप पीडीपी-कांग्रेस सरकार बनी थी। उन्होंने रविवार को प्रसारित हाेने वाले इस कार्यक्रम में कहा कि उस ऐतिहासिक चुनाव के बाद, भारतीय लोकतंत्र में कश्मीर के लोगों का विश्वास बना था।
तब से कश्मीर में एक स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से चुनाव हो रहे थे। कश्मीर और भारत के लोगों के बीच यह एकमात्र लिंक शेष है, और हर कश्मीरी मतदान केंद्र में अपना वोट डालने जा रहा है। यदि आप उस वोट को छीनते हैं (वोट पर डाका डोलोगे), तो क्या होगा?