बीजिंग | चीन ने ‘बाहरी दुनिया’ से मंगलवार को कहा कि अरब सागर में पाकिस्तान के ग्वादर के पास नौसैनिक अड्डा बनाने की चीन की कथित योजना के बारे में वह अनुमान लगाना छोड़ दे। चीन 50 अरब डॉलर वाले चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के तहत ग्वादर बंदरगाह को विकसित कर रहा है। यह आर्थिक गलियारे का अंतिम बिंदु है जो चीनी शहर कशगर से शुरू होता है। मीडिया रिपोर्ट ने बीजिंग स्थित सैन्य विश्लेषक झोउ चेनमिंग के हवाले से बताया, चीन को अपने युद्धपोतों के लिए ग्वादर में एक और अड्डा स्थापित करने की आवश्यकता है क्योंकि ग्वादर अब एक सिविल बंदरगाह बन चुका है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा, जैसा कि आप जानते हैं कि सीपीईसी का निर्माण बेल्ट और रोड पहल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और चीन एवं पाकिस्तान सीपीईसी बनाने के प्रयास भी कर रहे हैं जो दोनों देशों के सामान्य हित में है। इसलिए मैं समझता हूं कि बाहरी दुनिया को इस बारे में अनुमान लगाना छोड़ देना चाहिए।
पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, इस्लामाबाद में अधिकारियों ने किसी भी चीनी नौसैनिक अड्डे के बनने से इनकार किया है। ग्वादर अरब सागर में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है और ईरान के चाबहार बंदरगाह से लगभग 70 किलोमीटर दूर है। चाबहार बंदरगाह भारत द्वारा विकसित किया जा रहा है। चीन ने पिछले साल अफ्रीका के जिबूती में अपना पहला विदेशी सैन्य अड्डा खोला था।
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