नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट में लगभग अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुकी अयोध्या विवाद की सुनवाई आज हिन्दू और मुस्लिम पक्षकारों के वकीलों के बीच तीखी नोकझोंक का गवाह बनी और मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को हस्तक्षेप करना पड़ा।
न्यायालय में 39वें दिन की सुनवाई के दौरान हिन्दू पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता के. परासरण ने बहस की शुरुआत की। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एसए बोबडे, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण तथा न्यायमूर्ति एस अब्दुल नज़ीर की संविधान पीठ के समक्ष कहा कि अयोध्या में 50 से 60 मस्जिद हैं तथा मुस्लिम कहीं और भी जाकर नमाज़ पढ़ सकते हैं, लेकिन यह राम का जन्मस्थान है, इसे बदला नहीं जा सकता।
परासरण ने अपनी दलील में कहा कि किसी को भी भारत के इतिहास को तबाह करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। न्यायालय को इतिहास की गलती को ठीक करना चाहिए। एक विदेशी भारत में आकर अपने कानून लागू नहीं कर सकता है। उन्होंने अपनी दलील की शुरुआत भारत के इतिहास के साथ की। न्यायालय के निर्देश के बाद वकील वीपी शर्मा ने लिखित दलील के साथ कुरान के अंग्रेज़ी अनुवाद की कॉपी रजिस्ट्री को सौंपी। इसके साथ ही हिंदू और सिख धर्म ग्रंथ भी रजिस्ट्री को सौंपे जाएंगे।
हिंदू पक्षकार की ओर से परासरण ने मंदिर के सबूत के तौर पर कुछ दस्तावेज़ संविधान पीठ को देने की गुजारिश की है। अदालत की ओर से दस्तावेज़ रजिस्ट्री को देने को कहा गया है। हिंदू पक्षकार महंत रामचंद्र दास के शिष्य सुरेश दास की ओर से वकील परासरण अपनी दलीलें दे रहे थे। हिंदू पक्ष की ओर से निर्मोही अखाड़ा बुधवार को अपनी दलील रखेगा। निर्मोही अखाड़े के वकील सुशील जैन की मां की मृत्यु हो जाने के कारण वह अदालत नहीं पहुंच सके।
परासरण ने भावनात्मक दलीलें रखते हुए कहा कि बाबर जैसे विदेशी आक्रांता को हिंदुस्तान के गौरवशाली इतिहास को ख़त्म करने की इजाज़त नहीं दी जा सकती। अयोध्या में राम मंदिर को विध्वंस कर मस्जिद का निर्माण एक ऐतिहासिक ग़लती थी, जिसे न्यायालय को अब ठीक करना चाहिए।
परासरण ने कहा कि एक विदेशी आक्रमणकारी को यह हक़ नहीं दिया जा सकता कि वह इस देश में आकर ख़ुद को बादशाह घोषित करे और कहे कि उसकी आज्ञा ही क़ानून है। अतीत में तो अनेक शक्तिशाली हिंदू राजा भी रहे हैं, पर किसी के विदेश में यूं आक्रमण करने का तो कोई उदाहरण नहीं मिलता।
उन्होंने दलील देते हुए कहा कि हिंदू श्रीराम के जन्मस्थान पर अपनी आस्था को लेकर सैकड़ों साल से संघर्ष कर रहे हैं। अकेले अयोध्या में ही 50-60 मस्जिद हैं, मुसलमान किसी और मस्जिद में भी इबादत कर सकते हैं, पर हिन्दुओं के लिए तो यह जगह उनके आराध्य श्रीराम का जन्मस्थान है, यह जगह नहीं बदली जा सकती।
इस पर मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने टोकाटोकी की कि क्या श्री परासरण यह भी बताएंगे कि अयोध्या में कितने मंदिर है। सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष के वकील परासरण एवं सीएस वैद्यनाथन और मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। धवन की टोकाटोकी से परेशान वैद्यनाथन ने उन्हें अपनी ‘रनिंग कमेंट्री’ बंद करने को कहा तो धवन ने सख्त शब्दों में इस पर एतराज जाहिर किया। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने दख़ल दिया।
कल रामलला विराजमान की ओर से पेश हो रहे वकील वैद्यनाथन को 45 मिनट तक जिरह करने का मौका दिया जाएगा। उसके बाद करीब एक घंटे मुस्लिम पक्ष के धवन को जवाब देने के लिए मिलेगा। इसके बाद न्यायालय ‘मॉल्डिंग ऑफ रिलीफ’ को लेकर विचार करेगा। अगर कल ही इस पर बहस पूरी हो जाती है तो कल ही फैसला सुरक्षित रख लिया जाएगा।