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Ayodhya dispute: frustration in the VHP and Sant Samaj - अयोध्या विवाद: न्यायालय के फैसले से विहिप और संत समाज में निराशा - Sabguru News
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अयोध्या विवाद: न्यायालय के फैसले से विहिप और संत समाज में निराशा

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अयोध्या विवाद: न्यायालय के फैसले से विहिप और संत समाज में निराशा
Ayodhya dispute: frustration in the VHP and Sant Samaj
Ayodhya dispute: frustration in the VHP and Sant Samaj
Ayodhya dispute: frustration in the VHP and Sant Samaj

अयोध्या । उच्चतम न्यायालय में विवादित राम जन्म भूमि मामले में दिन प्रतिदिन की सुनवाई की तारीख बढ़ जाने के फैसले ने विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और साधु-संतों के बीच निराशा फैल गयी है।

विहिप और साधु संत विवादित राम जन्म भूमि परिसर में भव्य मंदिर के निर्माण के लिये आ रही बाधाओं को दूर करने की मांग कर रहे है। उच्चतम न्यायालय में इस मामले की सोमवार को सुनवायी होनी थी। हालांकि न्यायालय के निर्णय के बाद अब इस मामले की सुनवायी जनवरी में होगी। .

भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) नेताओं ने मंदिर निर्माण के लिये हो रही देरी के लिये कांग्रेस को दोषी ठहराया है। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि यह अच्छा होता कि न्यायालय इस मामले की दिन प्रतिदिन सुनवायी जल्द शुरू हो जाती। उन्होने कहा कि इस मामले में देरी होना अच्छे संकेत नही है।

भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा के पूर्व सदस्य विनय कटियार ने भी सुनवायी में हो रही देरी के लिये कांग्रेस को दोषी ठहराया। उन्होने कहा कि पहले कपिल सिब्बल और अब प्रशांत भूषण उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के मामले में देरी के लिए ज़िम्मेदार है। कांग्रेस हमेशा इस मामले पर फैसले में देरी करना चाहती है और वे इसमें सफल हुए हैं।

कटियार ने कहा कि इससे स्पष्ट है कि सुनवाई में देरी होने से इसका फैसला वर्ष 2019 में होनेे वाले लोकसभा चुनाव से पहले नही आयेगा। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। इस तरह के कार्य से लोगों के बीच नाराजगी बढ़ेगी। देश की जनता चाहती है कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर शीघ्र हो।

इस बीच विहिप ने भव्य मंदिर निर्माण के लिये एक कानून बनाने की मांग की है। विहिप प्रवक्ता शरद शर्मा ने यहां कहा राम मंदिर निर्माण के मार्ग प्रशस्त करना केन्द्र की भाजपा सरकार का काम है। इस मामले की देरी से लोगों में गलत संदेश जायेगा। इस बीच महंत धर्मदास ने कहा कि केन्द्र सरकार किसी तरह का कानून लाने में समर्थ नही है।

उन्होंने कहा कि न्यायालय को जनवरी में सुनवायी से पहले हिंदू पक्ष को मौका देना चाहिये था। संत ने कहा, न्यायालय ने मामले को स्थगित करने में कुछ मिनट लगाये। संबंधित पक्षों को दो मिनट का समय भी नहीं दिया।

इस बीच, मुस्लिम पक्ष के इकबाल अंसारी ने न्यायालय के फैसले का स्वागत किया और उच्चतम न्यायालय पर अपना विश्वास व्यक्त किया। उन्होंने कहा,“हम न्यायालय के फैसले को स्वीकार करते हैं क्योंकि हमें जल्दबाजी में नहीं हैं। न्यायालय को अपना समय लेना चाहिए क्योंकि मामला बहुत महत्वपूर्ण है।”

अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के सदस्य और वकील जफराराब जिलानी ने भी उच्चतम न्यायालय के फैसले को स्वीकार कर लिया। उन्होंने कहा, “यह तय करने के लिए न्यायालय इस मामले को कब तय करेगा इसमें कोई सवाल नहीं कर सकता।”