Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
Ayodhya dispute Idgah may be under disputed structure Muslim side - Sabguru News
होम Breaking अयोध्या विवाद: मुस्लिम पक्षकार ने कहा विवादित ढांचे के नीचे हो सकती है ईदगाह

अयोध्या विवाद: मुस्लिम पक्षकार ने कहा विवादित ढांचे के नीचे हो सकती है ईदगाह

0
अयोध्या विवाद: मुस्लिम पक्षकार ने कहा विवादित ढांचे के नीचे हो सकती है ईदगाह
Ayodhya dispute Idgah may be under disputed structure Muslim side
 Ayodhya dispute Idgah may be under disputed structure Muslim side
Ayodhya dispute: Muslim party said Idgah may be under disputed structure

नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट में अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद की 32वें दिन की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकार ने विवादित स्थल को लेकर भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण की रिपोर्ट पर अंगुली उठाई और कहा कि विवादित ढांचे के नीचे एक ईदगाह हो सकती है।

मुस्लिम पक्ष की वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एसए बोबडे, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नज़ीर की संविधान पीठ के समक्ष दलील दी कि विवादित ढांचे के नीचे एक ईदगाह हो सकती है। वहां भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण की खुदाई में मिले दीवारों के अवशेष ईदगाह के हो सकते हैं।

अरोड़ा ने कहा कि एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि विवादित स्थल पर हर जगह अवशेष थे। रिपोर्ट में मस्जिद के बारे में कुछ नहीं बताया गया है, लेकिन राम चबूतरे के स्थान को राम चबूतरा बताया गया है। उन्‍होंने कहा कि जिस बड़े निर्माण की बात हो रही है, वह 12वीं सदी में बनाया गया था। उसका गुप्त काल से कोई मतलब नहीं है।

उन्होंने कहा कि वहां पर ईदगाह भी हो सकती है। सभी जानते हैं कि ईदगाह का मुख पश्चिम की तरफ होता है, तो यह क्यों कहा जा रहा है कि वहां मंदिर ही था। उन्होंने कल भी अपनी दलीलों में एएसआई रिपोर्ट की प्रमाणिकता पर सवाल खड़े किए थे।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने अरोड़ा को इस पर टोकते हुए कहा कि मुस्लिम पक्ष का तो ये मानना रहा है कि मस्जिद खाली जगह पर बनाई गई, लेकिन अब आप कह रही है कि उसके नीचे ईदगाह थी? अगर ऐसा था तो ये आपकी याचिका में ये शामिल क्यों नही था।

इस पर उन्होंने जवाब दिया कि 1961 में जब उन्होंने मुकदमा दायर किया तब ये मुद्दा ही नहीं था। यह बात तो 1989 में सामने आई, जब हिन्दू पक्ष ने मुकदमा दायर कर दावा किया कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी। अरोड़ा ने कहा कि मेरी जिरह रिपोर्ट पर आधारित है। मेरे कहने का मतलब है कि जब यह कहा जा रहा है कि दीवारें मंदिर की हो सकती हैं तो ये भी अनुमान लगाया जा सकता है कि ये दीवारें ईदगाह की है।

अरोड़ा ने कहा कि ‘फ्लोर’ दो, तीन और चार पर पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट में कुछ स्तम्भ मिलने की बात कही गई है। ये सभी फ्लोर अलग-अलग समयकाल के हैं तो विभाग यह कैसे कह सकता है कि वहां पर बहुत बड़ा कोई ढांचा रहा होगा। उन्होंने एएसआई की रिपोर्ट में जमीन के ‘फ्लोर’ को लेकर अनियमितता का जिक्र करते हुए कहा कि फ्लोर नीचे जाते हैं और उसके ऊपर नये फ्लोर बनते जाते हैं। उन्होंने कहा कि हम किसी बहुमंजिली इमारत की बात नहीं कर रहे हैं।

इस पर न्यायमूर्ति बोबडे ने सवाल किया कि 50 मीटर की दीवार कैसे बिना किसी स्तंभ के खड़ी रह सकती है। उन्होंने पूछा कि पुरातत्व विभाग कि रिपोर्ट में कहां लिखा है कि जो स्‍तंभ मिले हैं वह अलग-अलग समयकाल के हैं। उन्होंने सवाल किया कि कई स्‍तंभों के बीच की दूरी 2 मीटर के आस-पास क्यों थी?

न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा कि एएसआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि वहां और किसी भी तरह का इस्लामिक आर्किटेक्ट नहीं मिला था। इस पर वकील ने कहा कि हाथी और किसी जानवर की मूर्ति मिलने से वहां पर मन्दिर नहीं हो सकता, क्योंकि उस समय वह खिलौना भी हो सकता था। इसे किसी धर्म से नहीं जोड़ा जा सकता।

उन्होंने कहा कि वहां पर 383 आर्किटेक्चर अवशेष मिले थे, जिसमें से 40 को छोड़कर कोई भी मन्दिर का हिस्सा नहीं हो सकता, वह जैन और हिन्दू दोनों ही धर्मों के हो सकते हैं। कमल को हिन्दू, मुस्लिम, बुद्ध सभी इस्तेमाल करते हैं और इसका इस्तेमाल मुस्लिम आर्किटेक्ट में भी होता है।

इससे पहले महंत धरमदास की ओर से अधिवक्ता जगदीप यादव ने सुनवाई शुरू होते ही कहा कि उसके और निर्मोही अखाड़ा में आपस में ज़मीन के अधिकार को लेकर झगड़ा है, इसलिए उसे भी सुना जाए। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि क्या हम रोज़-रोज़ इसकी सुनवाई करते रहेंगे? क्या मैं अपनी सेवानिवृत्ति के आखिरी दिन तक इसकी सुनवाई करेंगे? आज सुनवाई का 32वां दिन है और आप अब कह रहे हैं कि आपको भी सुना जाए।न्यायमूर्ति गोगोई ने उस वकील की कोई भी दलील सुनने से मना कर दिया।

सुनवाई सुबह जैसे ही शुरू हुई न्यायमूर्ति गोगोई ने दोहराया कि वह चाहते हैं कि 18 अक्टूबर तक सुनवाई पूरी हो जाए। इसके बाद सुनवाई की तारीख आगे नहीं बढ़ाई जाएगी। उन्होंने कहा कहा कि हमारे पास सुनवाई के लिए सिर्फ साढ़े 10 दिन बचे हैं। उसके बाद अगर हम चार हफ्ते में फैसला दे पाए तो चमत्‍कार होगा।

हिन्दू पक्ष ने कहा कि 28 सितंबर और एक अक्टूबर को हम जवाब (रिजॉइंडर) दाखिल करेंगे। न्यायमूर्ति गोगोई ने वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन से पूछा कि क्या आपको जवाब के लिए दो दिन काफी होगा। धवन ने कहा कि संभवतया यह कम होगा।