नई दिल्ली। अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर सुप्रीमकोर्ट में दसवें दिन की सुनवाई के दौरान गुरुवार को याचिकाकर्ता गोपाल सिंह विशारद की ओर से दलीलें पेश की गई, जिन्होंने कहा कि उन्हें उपासना का अधिकार है और यह अधिकार उनसे छीना नहीं जा सकता।
विशारद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एसए बोबडे, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूूषण तथा न्यायमूर्ति एस अब्दुल नज़ीर की संविधान पीठ के समक्ष दलीलें पेश करते हुए कहा कि वह (मुवक्किल) उपासक हैं और उन्हें विवादित स्थल पर उपासना का अधिकार है। उन्होंने कहा कि यह अधिकार उनसे कोई नहीं छीन सकता।
कुमार ने रामलला विराजमान के वकील सीएस वैद्यनाथन की दलीलों से सहमति जताते हुए कहा कि विवादित जमीन खुद में दैवीय स्थल है और भगवान राम का उपासक होने के नाते उनके मुवक्किल को वहां पूजा करने का अधिकार है। यह वह स्थल है, जहां राम का जन्म हुआ था और उन्हें यहां का पूजा का अधिकार दिया जाना चाहिए।
उन्होंने मामले की निचली अदालत में सुनवाई के दौरान पेश किए गए दस्तावेजों को संविधान पीठ के समक्ष रखा। इन दस्तावेजों में 80 साल के अब्दुल गनी की गवाही का भी उन्होंने उल्लेख किया। इसके बाद खुद न्यायमूर्ति गोगोई ने कुमार से कई प्रकार के सवाल किए, जिसका उन्होंने पुराने दस्तावेजों के आधार पर जवाब दिया।