नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट अयोध्या में विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद की सुनवाई अब सप्ताह में तीन दिन (मंगलवार, बुधवार और गुरुवार) के बजाय पांचों कार्यदिवस को होगी।
मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने गुरुवार को बताया कि अब इस मामले की सुनवाई केवल मंगलवार, बुधवार और गुरुवार के अलावा सोमवार और शुक्रवार को भी होगी।
आमतौर पर संवैधानिक पीठ तीन दिन- मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को ही किसी मामले पर सुनवाई करती है। इस मामले में सुनवाई छह अगस्त से शुरू हुई थी और आज सुनवाई का तीसरा दिन रहा।
सुनवाई के दौरान रामलला विराजमान के वरिष्ठ अधिवक्ता के. परासरन ने न्यायालय में कहा कि ‘जन्मस्थान’ की सटीक जगह नहीं है, लेकिन इसका मतलब आसपास के क्षेत्रों से भी हो सकता है। पूरा क्षेत्र जन्मस्थान है। इसे लेकर कोई विवाद नहीं है कि यह जन्मस्थान भगवान राम का है। हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्ष इस विवादित क्षेत्र को जन्म स्थान कहते हैं।
संविधान पीठ ने पूछा कि क्या किसी जन्मस्थान को एक न्यायिक व्यक्ति माना जा सकता है? मूर्ति एक न्यायिक व्यक्ति हो सकता है, लेकिन क्या एक स्थान या जन्मस्थान न्यायिक व्यक्ति हो सकता है? इसके जवाब में परासरन ने कहा कि मूर्ति का वहां मौजूद होना कानूनी व्यक्ति के निर्धारण के लिए एकमात्र परीक्षण नहीं है।
मुस्लिम पक्षकार की तरफ से अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि ‘राम लला विराजमान’ और ‘निर्मोही अखाड़ा’ द्वारा दायर दो अलग-अलग वाद एक दूसरे के खिलाफ हैं और यदि एक जीतता है तो दूसरा स्वत: ही खत्म हो जाता है। मुस्लिम पक्ष को किसी भी एक वाद में बहस शुरू करने की अनुमति दी जा सकती है, क्योंकि कानूनी रूप से सिर्फ इसकी ही अनुमति दी जा सकती है।