नयी दिल्ली | सरकार ने शुक्रवार को कहा कि वह आयुष्मान भारत योजना का विस्तार करने को प्रतिबद्ध है तथा हर पात्र व्यक्ति इसका लाभ मिलेगा।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न के उत्तर में यह बात कही। उन्होंने कहा कि वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर करीब 11 करोड़ लोग योजना के पात्र हैं। लेकिन, यदि कोई जनगणना के आँकड़ों से इतर भी आयुष्मान योजना के लिए तय मापदंडों के दायरे में आता है तो उसे इसका लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा,“जो इसके हकदार हैं उनके लिए सरकार गंभीरता से काम कर रही है। आने वाले समय में योजना का विस्तार किया जायेगा।”
आयुष्मान योजना के तहत हर पात्र परिवार के लिए सालाना पाँच लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की सुविधा है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश भर में अब तक 16,000 से ज्यादा अस्पताल आयुष्मान योजना से जुड़ चुके हैं और 32 लाख से ज्यादा लोगों ने इसके तहत अपना मुफ्त इलाज कराया है। उन्होंने कहा कि योजना के तहत 19,000 आरोग्य केंद्र भी स्थापित किये जा चुके हैं तथा वर्ष 2022 तक डेढ़ लाख आरोग्य केंद्र स्थापित करने की योजना है।
देश में डॉक्टरों की कमी के मद्देनजर योजना को लागू करने में आने वाली कठिनाई के बारे में पूछे जाने पर डॉ. हर्षवर्द्धन ने कहा कि सरकार देश भर के स्वप्रेरित डॉक्टरों से अपील कर रही है कि वे अपने आसपास के चार-पाँच स्वास्थ्य एवं आरोग्य केंद्रों को गोद लेें और वहाँ लोगों को स्वास्थ्य सेवाएँ मुहैया करायें।
हर्षवर्द्धन ने कहा कि देश में डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार ने कई उपाय किये हैं। अप्रैल 2017 से 15,815 एमबीबीएस सीटें और 8,883 स्नातकोत्तर सीटें बढ़ी हैं। उन्होंने इसे ऐतिहासिक वृद्धि बताया। इसके अलावा 82 जिला अस्पतालों को मेडिकल कॉलेजों में बदलने की योजना है जिनमें पहले चरण के तहत 20 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में 58 जिलों की पहचान कर जिला अस्पतालों को मेडिकल कॉलेज में बदलने का अनुमोदन कर दिया गया है। इसके लिए 60 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार और 40 प्रतिशत राज्य सरकार दे रही है। केंद्र सरकार ने इनके लिए 7,541.10 करोड़ रुपये की राशि अनुमोदित की है जिसमें 7,507.70 करोड़ रुपये की राशि जारी कर दी गयी है।
दूसरे चरण के तहत 24 जिला अस्पतालों को मेडिकल कॉलेजों में बदलने के लिए 3,675 करोड़ रुपये की राशि अनुमोदित की गयी है जिनमें 1,375.13 करोड़ रुपये की राशि जारी कर दी गयी है।
इसके अलावा देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से नये कॉलेजों की स्थापना के मापदंडों को भी सरल बनाया गया है। स्वास्थ्य मंत्री ने लिखित उत्तर में बताया कि भारतीय चिकित्सा परिषद् के आँकड़ों के अनुसार, देश में 11,59,309 एलोपैथिक डॉक्टर हैं। उनकी 80 प्रतिशत उपलब्धता मानते हुये कुल 9.27 लाख डॉक्टर सक्रिय हैं। देश की आबादी 135 करोड़ मानते हुये प्रति 1,456 व्यक्ति एक डॉक्टर उपलब्ध है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने प्रति हजार आबादी पर एक डॉक्टर का मापदंड तय किया है। इस प्रकार डॉक्टरों की कमी है।
डॉ. हर्षवर्द्धन ने कहा कि इसके अलावा देश में 7.88 लाख आयुर्वेदिक, यूनानी एवं होम्योपैथिक डॉक्टर भी उपलब्ध हैं। उनकी 80 प्रतिशत उपलब्धता मानते हुये ऐलोपैथिक और पारंपरिक डॉक्टरों को मिलाकर प्रति 867 व्यक्ति एक डॉक्टर का अनुपात बनता है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के मापदंडों से बेहतर है।