जयपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जयपुर प्रांत के प्रांत प्रचारक डॉ. शैलेंद्र ने कहा कि पूरी दुनियां के लोग भारत को व्यापार का क्षेत्र मानते हैं, वे विश्व को बाजार मानते है, लेकिन हम अपनी संस्कृति में विश्व को अपना परिवार मानते हैं।
डॉ. शैलेन्द्र रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ऋषि गालव भाग की ओर स्वाधीनता से स्वंतत्रता की ओर विषय पर से आयोजित प्रबुद्धजन गोष्ठी में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि हमारा सतत संघर्ष का इतिहास रहा है। बाहर से आए लोगों ने हमारे उपर आक्रमण करके राज किया। इन्होंने किन आधार पर हमारे देश पर राज किया, अपनी क्या कमियां थीं। इस पर आज विचार करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि देश स्वतंत्र हो गया। स्वाधीतनता को 75 वर्ष हो गए, हम अमृत महोत्सव मना रहे हैं। जब तक समाज समरस नहीं होगा, तब तक जिस समर्थ समाज की हम कल्पना करते हैं वह संभव नहीं है।
डॉ. शैलेन्द्र ने कहा कि आज देश बदल रहा है। देश में अच्छी बातें हो रही है। चाहे भगवान श्रीराम के मंदिर का निर्माण हो या काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण, धारा 370 का विषय हो या 100 से अधिक उपग्रह छोड़ने का विश्व कीर्तिमान हो। आज अनेक विकसित देश में भारत से अपने उपग्रह स्थापित करवाते हैं। भारत हर क्षेत्र में उन्नति कर रहा है। भारत इस क्षेत्र में दुनियां में तीसरे स्थान पर है। भारत के लोगों की धाक पूरे विश्व में बढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि जो लोग प्रश्न उठाते हैं कि देश को स्वतंत्र कराने में संघ का क्या योगदान था। इस पर उन्होंने कहा कि 1930 में डॉक्टर साहब ने अपना सरसंघचालक का दायित्व परांजपे जी को देकर स्वयं जेल में गए और नौ माह तक सश्रम कारावास की सजा पूरी की। ऐसे अनगिनत स्वयंसेवकों का देश की स्वतंत्रता और देश निर्माण में योगदान रहा है।
उन्होंने कहा कि आजादी के आंदोलन में संघ के कई स्वयंसेवकों ने अपना बलिदान दिया है। 1947 में भारत छोड़ो आंदोलन में अनेक स्वयंसेवकों ने सहभाग किया। दादरा नगर हवेली को स्वतंत्र कराने के लिए 15 से अधिक स्वयंसेवक शहीद हुए, सौ से अधिक स्वयंसेवकों को जेल में डाल दिया गया। अनेक स्वयंसेवकों पर मानवीय अत्याचार किए गए।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी विपिन चंद्र शर्मा ने कहा कि आज कोई भी भारत को आंख उठाकर नहीं देख सकता। देश में सामाजिक उथल पुथल चल रही है। देश में कई आंतरिक चुनौतियां है, इनका सामना करने के लिए हिन्दू समाज को एकत्रित करना होगा।