नई दिल्ली। सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की नामचीन हस्ती विप्रो के अध्यक्ष अजीम प्रेम और उनकी पत्नी यासीम ने कर्नाटक की एक निचली अदालत द्वारा जारी समन आदेश निरस्त करने की अर्जी उच्चतम न्यायालय में दायर की है।
वकील महेश अग्रवाल के जरिये दायर याचिका में कहा गया है कि कर्नाटक की निचली अदालत ने जिस मामले में समन किया है, उसपर कर्नाटक उच्च न्यायालय की हरी झंडी पहले ही मिल चुकी थी।
दरअसल ये समन अजीम प्रेमजी द्वारा अधिकृत कंपनी विद्या, रीगल और नेपियन नामक तीन कंपनियों का हाशिम इन्वेस्टमेंट एंड ट्रेडिंग कंपनी के साथ विलय करने के खिलाफ दर्ज आपराधिक शिकायत के आधार पर जारी किया गया है।
याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत में दायर याचिका में कहा है कि ये तीनों कंपनियां 1974 में पुनर्गठित की गयी थी और 1980 में इनका शेयर होल्डिंग इस तरह से जोड़ा गया था कि इन तीनों में से कोई भी दो कंपनियां तीसरे की मालिक होंगी।
इस पूरी प्रक्रिया को 2015 में रिजर्व बैंक के संज्ञान में लाकर कर्नाटक उच्च न्यायालय की हरी झंडी के बाद किया गया था। उन्होंने कहा है कि इस सारी प्रक्रिया की जानकारी भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) और कंपनी मामलों के मंत्रालय को 2015 में दी गई थी।
गौरतलब है कि हाशिम इन्वेस्टमेंट एंड ट्रेडिंग कंपनी में तीन कंपनियों के इस तरह विलय के खिलाफ एक गैर-सरकारी संगठन ने निचली अदालत में सात दिसम्बर 2017 में आपराधिक मुकदमा दायर किया था, जिस पर अदालत ने संज्ञान लेकर अजीम प्रेमजी और उनकी पत्नी के खिलाफ समन जारी किया है।
शिकायतकर्ता का आरोप है कि हाशम इंवेस्टमेंट में विलय होने वाली तीनों कंपनियां अजीम प्रेमजी समूह की नहीं हैं। शिकायतकर्ता का कहना है कि ये कंपनियां किसी की नहीं है, इसलिए इन पर सरकार का अधिकार है।