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बाबरी ढांचा विध्वंस : आडवाणी, जोशी कल्याण सिह समेत सभी 32 आरोपी बरी - Sabguru News
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बाबरी ढांचा विध्वंस : आडवाणी, जोशी कल्याण सिह समेत सभी 32 आरोपी बरी

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बाबरी ढांचा विध्वंस : आडवाणी, जोशी कल्याण सिह समेत सभी 32 आरोपी बरी

लखनऊ। नौ नवम्बर 2019 को रामजन्मभूमि विवाद पर उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले के बाद 28 सालों तक चली लंबी सुनवाई के बाद केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने बुधवार को अपने फैसले में कहा कि छह दिसम्बर 1992 को विवादित बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचा  ढहाने में असामाजिक तत्वों का हाथ था और इसमें सभी आरोपियों की कोई भूमिका नहीं थी।

विशेष न्यायाधीश एसके यादव ने बाबरी विध्वंस मामले में आरोपी पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, डा मुरली मनोहर जोशी,उमा भारती और कल्याण सिंह समेत सभी 32 आरोपियों को बरी करते हुए कहा कि सीबीआई इस मामले में कोई पुख्ता सबूत पेश नहीं कर सकी है जिससे उसकी विश्वनीयता पर सवालिया निशान लगता है।

न्यायमूर्ति ने कहा कि सीबीआई आरोपियों के खिलाफ आरोप निर्धारित नहीं कर पाई। अदालत ने माना है आरोपियों ने भीड़ को शांत करने की पुरजोर कोशिश की थी और उनकी बाबरी मस्जिद को गिराने में कोई भूमिका नहीं थी।

अदालत ने फैसले में कहा कि यह घटना सुनियोजित नहीं थी। आरोपियों ने ढांचे को गिराने में उतारू भीड़ को शांत करने का प्रयास किया। विश्व हिन्दू परिषद के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष स्वर्गीय अशोक सिंहल ने लोगों को समझाने का अपनी ओर से पूरा प्रयास किया लेकिन असामाजिक तत्वों ने ढांचा गिरा दिया। नेता भीड़ को शांत कर रहे थे न कि उसे उकसा रहे थे। विवादित ढांचे के पीछे से पथराव भी किया गया।

सीबीआई के विशेष जज का यह अंतिम फैसला था। एक वर्ष के एक्सटेंशन के बाद उनका कार्यकाल आज समाप्त हो जाएगा। फैसले के समय 32 आरोपियों में से 26 अदालत परिसर में मौजूद थे। न्यायाधीश ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं है, इस लिहाज से सभी को बरी किया जाता है।

न्यायाधीश ने कहा कि कार सेवकों की मस्जिद को ढहाने में कोई भूमिका नहीं मिली है। कारसेवक एक हाथ में पानी का बोतल और एक हाथ में पुष्पगुच्छ पकड़े थे। अदालत ने सीबीआई द्वारा पेश किए गए वीडियो को स्वीकार नहीं किया। इस बारे में बचाव पक्ष के वकील मनीष त्रिपाठी की दलील थी कि और कहा कि वीडियो में छेड़छाड़ की गई है।

जज ने सीबीआई द्वारा पेश किए गए फोटोग्राफ को भी सही नहीं माना क्योंकि इसके मूल निगेटिव जांच एजेंसी प्रस्तुत नहीं कर सकी थी। न्यायाधीश बचाव पक्ष की उस दलील से भी सहमत थे कि सीबीआई ने बचाव अधिनियम के मानकों का पालन नहीं किया।

त्रिपाठी ने फैसले के बाद पत्रकारों को बताया कि अदालत ने माना है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और विश्व हिन्दू परिषद की बाबरी ढांचे को गिराने में कोई भूमिका नहीं थी। यह सब किया धरा शरारती तत्वों का था।

दो आरोपिताे के मामले की पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता आईबी सिंह ने कहा कि अदालत ने सीबीआई द्वारा प्रस्तुत सभी साक्ष्यों को खारिज कर दिया है और साक्ष्यों के अभाव में सभी को बरी कर दिया।

विशेष न्यायाधीश ने कहा कि एक भी आरोपी के खिलाफ भीड़ को उकसाने संबधी साक्ष्य नहीं है। सीबीआई ने मामले में कुल 49 आरोपियों के खिलाफ 350 सबूत पेश किए जिसे सीआपीसी की धारा 351 के तहत सिरे से खारिज कर दिया गया।

फैसले के बाद अदालत परिसर में मौजूद तीन वर्तमान सांसदों समेत सभी आरोपियों ने जय श्रीराम के नारे लगाए और एक दूसरे को बधाई दी। इस दौरान समूचा अदालत परिसर जय श्रीराम के नारों से गूंजता रहा।

आज फैसले के दिन 32 आरोपियों में से 26 ने अपनी उपस्थिति अदालत में दर्ज करायी थी हालांकि पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, डा मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह, महंतनृत्य गोपाल दास और सतीश प्रधान अनुपस्थति रहे।

अदालत में हाजिरी लगाने वालों में मौजूदा सांसद बृज भूषण सिंह, साक्षी महाराज, लल्लू सिंह के अलावा पवन पांडे, आरएन श्रीवास्तव, राम विलास वेंदाती, चंपत राय, महंत धर्मदास, विनय कटियार, साध्वी ऋतम्भरा, प्रकाश शर्मा, विजय बहादुर सिंह, संतोष दुबे, गांधी यादव, रामजी गुप्ता, कमलेश त्रिपाठी, रामचरण खत्री, जय भगवान गोयल, ओम प्रकाश पांडेय, अमरनाथ गोयल, जय भान पावइया, विजय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, आचार्य धर्मेन्द्र देव, सुधीर कुमार कक्कड़ और धमेन्द्र सिंह गुर्जर शामिल थे।

गौरतलब है कि लंबी सुनवाई के दौरान आचार्य गिरिराज किशोर, अशोक सिंहल, विष्णु हरि डालमिया, बैकुंठ लाल शर्मा, बाल ठाकरे, विनोद कुमार बास, राम नारायण दास, हरिगोविंद सिंह, लक्ष्मी नारायण दास, रमेश प्रताप सिंह, देवेन्द्र बहादुर राय, मोरेश्वर साबे, महामंडलेश्वर जगदीश मुनि, रामचन्द्र परमहंस दास और सतीश नागर की मृत्यु हो चुकी है।

पिछले 28 सालों के दौरान कई बार सुनवाई और जांच पटरी से उतरती दिखाई दी लेकिन पिछले महीने सुनवाई पूरी होने के बाद फैसले के समय से आने की उम्मीद बंधी रही। उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद सीबीआई की विशेष अदालत 2017 के बाद से मामले की प्रतिदिन सुनवाई कर रही है। इस दौरान सभी आरोपियों के बयान दर्ज किए गए। कोरोना काल के चलते कई की सुनवाई वर्चुअल तरीके से हुई।

बाबरी विध्वंस मामले के मुख्य आरोपियों में भाजपा के बुजुर्ग नेता लालकृष्ण आडवाणी, भाजपा मार्गदर्शक मंडल के सदस्य डा मुरली मनोहर जोशी, पूर्व केन्द्रीय मंत्री उमा भारती, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, मौजूदा सांसद साक्षी महाराज और बृजभूषण सिंह और पूर्व सांसद विनय कटियार शामिल थे।

गौरतलब है कि छह दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद पहली एफआईआर अज्ञात कारसेवकों के खिलाफ क्रिमिनल ला एमेंडमेंट एक्ट के तहत दर्ज की गई थी। इसके दस मिनट बाद दूसरी प्राथमिकी लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, विनय कटियार, विष्णु हरि डालमिया और साध्वी ऋतंभरा के खिलाफ धारा 153ए,153 बी,505 के तहत दर्ज की गयी थी। यह एफआईआर घृणाप्रद और भड़काऊ भाषण को लेकर की गई थी।

इसके बाद 47 और एफआईआर दर्ज कराई गई जिसमें पत्रकारों पर हमले और तोडफोड एवं आगजनी से सबंधित थी। कई पत्रकारों के कैमरे तोड दिए गए थे। सभी एफआईआर अयोध्या में रामजन्मभूमि थाने में दर्ज कराई गई थी। कई सालों तक कानूनी अड़चनों और जटिलताओं के बाद 2017 से सुनवाई मे तेजी आई। आरोप तय किए गए और संयुक्त चार्जशीट तैयार हुई। इस बीच कल्याण सिंह के राजस्थान के राज्यपाल मनोनीत होने के चलते सुनवाई रोक दी गई क्योंकि वह एक संवैधानिक पद में थे।

हालांकि पिछले साल सिंह के राज्यपाल के पद से हटने के बाद सुनवाई दोबारा शुरू हुई। पिछले महीने लाल कृष्ण आडवाणी, कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार और चंपत राय के बयान दर्ज किए गए थे। सितम्बर के पहले सप्ताह में सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने फैसले के लिए 30 सितम्बर की तारीख तय की थी।