लखनऊ। सुप्रीमकोर्ट से अयोध्या में रामजन्मभूमि की जमीन पर मालिकाना हक का फैसला आने के बाद अब लोगों की नजर 6 दिसम्बर 1992 को विवादित ढांचा गिराये जाने पर भी सीबीआई अदालत का जल्द फैसला आने की उम्मीद है।
यह आपराधिक षडयंत्र का मुकदमा है जो पिछले 27 साल से चल रहा है। छह दिसम्बर 1992 को विवादित ढांचा गिराए जाने के बद उसी दिन शाम को रामजन्मभूमि थाने में पहली प्राथमिकी दायर की गई जिसका नंबर 197/ 92 था। उसके ठीक दस मिनट बाद दूसरी प्राथमिकी दर्ज हुई जिसका नंबर 198/92 था।
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पहली प्राथमिकी अज्ञात कारसेवकों के खिलाफ दर्ज की गई जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 395, 397, 332, 337, 338, 295, 297, 152 ए लगाई गई जबकि दूसरी प्राथमिकी में धारा 153ए,153 बी, 505 के तहत दर्ज की गई।
दूसरी प्राथमिकी में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती,विनय कटियार, विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अघ्यक्ष अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, बिष्णु हरि डालमिया, साध्वी रितम्भरा समेत अन्य लोगों के नाम थे। इन सभी पर उत्तेजक भाषण देने के आरोप थे जिनके भाषण से डांचा गिराये जाने की भूमिका तैयार हुई।
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इसके अलावा 47 और प्राथमिकी दर्ज की गई थी जिसमें मीडियाकर्मी के साथ मारपीट,उनके कैमरे छीनने का आरोप था। इसतरह कुल 49 प्राथमिकी दर्ज हुई। इनमें केस नंबर 197 की जांच का जिम्मा सीबीआई को दिया गया जबकि केस नंबर 198 को सीबी सीआईडी को सौंपा गया।
बाद में सभी प्राथमिकी को एक कर दिया गया। सीबीआई ने केस नंबर 198 के मामले में सभी आरोपियों के खिलाफ 9 सितम्बर 1997 को आरोप पत्र दायर करने का आदेश दिया था।