नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और अन्य कैबिनेट मंत्रियों के खिलाफ ‘आपत्तिजनक’ ट्वीट मामले में दर्ज प्राथमिकियों को एक जगह स्थानांतरित करने को लेकर समित ठक्कर की जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई से इनकार कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने ठक्कर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी को बॉम्बे उच्च न्यायालय जाने की सलाह दी। जेठमलानी ने खंडपीठ के समक्ष दलील दी कि प्राथमिकियों में दर्ज सारे आरोप जमानत योग्य हैं, लेकिन उनके मुवक्किल अब भी जेल में बंद हैं।
उन्होंने कहा कि यदि खंडपीठ इन तथ्यों के बावजूद नहीं हिलती तो फिर उसे क्या हिला पाएगा? इस पर न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा कि वह ऐसे मामले रोज देखते हैं और अब जज इससे प्रभाव शून्य (इम्यून) हो चुके हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वह अनुच्छेद 32 के तहत इस जनहित याचिका की सुनवाई नहीं कर सकते।
न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा कि याचिकाकर्ता अपने अधिकारों की रक्षा के लिए बॉम्बे उच्च न्यायालय के समक्ष जायें। इसके बाद जेठमलानी ने याचिका वापस ले ली। ठक्कर ने उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ठाकरे के खिलाफ कई ट्वीट किए थे।